OMR शीट जांचने में सुस्ती, CBSE के 36,00,000 छात्र तनाव में

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    सीबीएसई के 10वीं और 12वीं कक्षाओं के छात्रों का तनाव बढ़ता जा रहा है. दूसरे टर्म की प्रैक्टिकल परीक्षा चल रही है और इसके बाद शीघ्र ही थ्योरी परीक्षा होने वाली है लेकिन नवंबर-दिसंबर में ली गई पहले टर्म की परीक्षा का रिजल्ट अब तक जारी नहीं हुआ है. ये परीक्षाएं आब्जेक्टिव फॉरमैट में ऑप्टिकल मार्क रिकगनिशन (ओएमआर) आंसरशीट पर ली गई थीं. 

    तब तो ऐसा लग रहा था कि नई प्रणाली से ग्रेडिंग होकर तत्काल नतीजा आ जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और परिणाम घोषित करने में पारम्परिक परीक्षा पद्धति से भी ज्यादा विलंब हो गया. इतनी अधिक देरी क्यों हुई, इसकी कोई वजह भी पालकों, छात्रों और स्कूलों को नहीं बताई गई. कोरोना महामारी नियंत्रण में आ गई है और 2 वर्षों बाद ऑफलाइन तरीके से परीक्षा हो रही है लेकिन नवंबर-दिसंबर की टर्म-1 परीक्षा का नतीजा अब तक जाहिर नहीं होना बड़ी लापरवाही को दर्शाता है. 

    जिस समय बच्चों की ओएमआर पैटर्न से परीक्षा ली गई थी, तब सीबीएसई बोर्ड की सूझबूझ की काफी तारीफ हुई थी लेकिन इस मामले में हताशा हाथ लगी. सीबीएसई ने ओएमआर शीट जांचने में इतने महीनों का विलंब क्यों लगाया, यह बात समझ से परे है. इससे बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों और पालकों का तनाव बढ़ा है. इस विलंब का कहीं कोई स्पष्टीकरण नहीं है. इससे भारी अनिश्चितता व्याप्त है. 

    अब यदि किसी को पुनर्मूल्यांकन (रिवैल्यूशन) की मांग करनी है तो कैसे कर पाएगा? उस प्रक्रिया का क्या होगा? अब तक ऑनलाइन और ऑफलाइन, ऐसे 2 प्रकार के अंकों का सुनिश्चित वेटेज भी घोषित नहीं किया गया है. लगभग 36,00,000 छात्रों ने पहले टर्म की परीक्षा दी है, जिनके बारे में सीबीएसई को सहानुभूतिपूर्वक ध्यान देना चाहिए. सीबीएसई साधनसंपन्न बोर्ड है जिसे अपनी व्यवस्थित कार्यप्रणाली के आधार पर स्टेट बोर्ड को राह दिखानी चाहिए. चाहे प्रश्नपत्र तैयार करने का मामला हो या पेपर जांचने का, सीबीएसई को मानदंड सुनिश्चित करने चाहिए.