गडचिरोली जिले में जंगली हाथियों का आतंक, वन विभाग पुख्ता बंदोबस्त करे

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गड़चिरोली जिले (Gadchiroli District) की जनता जंगली हाथियों (Wild Elephants) के उत्पात या से बुरी तरह भयभीत है। ये हाथी लोगों की जान के लिए भारी खतरा बने हुए हैं और फसलों को भी बुरी तरह तबाह कर रहे हैं। ये हाथी गड़चिरोली के अलावा कभी-कभी गोंदिया जिले में भी उत्पात मचाते हैं। गड़चिरोली जिले की कोरची, कुरखेड़ा, देसाईगंज, आरमोरी तहसीलों में फसलों को रौंदने के अलावा ये हाथी मनुष्यों पर भी हमला कर रहे हैं। झुंड से भटका एक हाथी जिले के धानोरा, चामोर्शी, मुलचेरा होते हुए तेलंगाना पहुंच गया। वहां 2 किसानों की जान लेने के बाद वह हाथी दोबारा अहेरी उपविभाग में घुस आया। उसने हिदूर गांव में 3 महिलाओं पर हमला किया जिनमें से एक घायल महिला की मृत्यु हो गई तथा 2 अन्य बुरी तरह घायल हैं।

कहा जा रहा है कि वन विभाग हाथियों पर ड्रोन से नजर रखे हुए है। लोगों से कहा गया है कि सतर्कता बरतें और बेवजह जंगल में न जाएं। जनता की मांग है कि वन विभाग कोरी सलाह देने की बजाय हाथियों का बंदोबस्त करे। यह देखे कि क्षेत्र से हाथियों को कैसे खदेडा जा सकता है।

जिनका चंद्रपुर में इलाज हो रहा है। ये महिलाएं माता पूजन कार्यक्रम के बाद गांव लौट रही थीं तभी हाथी ने उन पर हमला किया। चिकित्सा अधिकारियों को आशंका है कि दोनों गंभीर घायल महिलाएं स्थायी रूप से विकलांग हो सकती हैं। गड़चिरोली जिले के उत्तरी के साथ ही दक्षिणी क्षेत्र में भी हाथियों ने भारी दहशत फैला रखी है। उनका आतंक बढ़ता ही जा रहा है। लोग घर से बाहर निकलने में भी घबरा रहे हैं। जंगली हाथियों के इतने भयंकर उत्पात के बावजूद वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। कहा जा रहा है कि वन विभाग हाथियों पर ड्रोन से नजर रखे हुए है।
 
लोगों से कहा गया है कि सतर्कता बरतें और बेवजह जंगल में न जाएं। जनता की मांग है कि वन विभाग कोरी सलाह देने की बजाय हाथियों का बंदोबस्त करे। यह देखे कि क्षेत्र से हाथियों को कैसे खदेड़ा जा सकता है। इसके लिए उसके पास कुछ तो उपाय होंगे। ये बेकाबू जंगली हाथी किसी भी व्यक्ति की हत्या कर सकते है। घरों की तोड़फोड़ कर बस्ती उजाड़ सकते हैं। खेतों में लहलहाती फसलों को तहस-नहस कर किसानों की मेहनत पर पानी फेरने के अलावा उनको जबरदस्त आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। यह हाथी जिले के आंबेशिवणी, लोहडोंगरी और बामणी जंगल परिसर में विचरण कर वृक्षों को तोड़ रहे हैं। इन लाचार वनवासी लोगों की रक्षा आखिर कौन करेगा?