वडेट्टीवार की राहुल गांधी के बारे में विचित्र राय, कहा – ‘नहीं है अच्छे वक्ता’

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कांग्रेस (Congress) में अभिव्यक्ति की आजादी या व्यक्तिगत विचार रखने की छूट है, तभी तो उसका फायदा उठाते हुए महाराष्ट्र (Maharashtra) के नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार (Congress leader Vijay Wadettiwar) ने बेखौफ अपनी राय व्यक्त की कि राहुल गांधी ( Rahul Gandhi) काबिल नेता हैं पर अच्छे वक्ता नहीं हैं।किसी भी कांग्रेस नेता ने इसके पहले राहुल के संबंध में ऐसी टिप्पणी नहीं की थी। क्या बीजेपी का कोई छुटभैया नेता मोदी या शाह के बारे में ऐसा कह सकता है ? फिर वडेट्टीवार ने ऐसा कहने

का दुस्साहस कैसे किया ? यह तो हद दर्जे की अनुशासनहीनता राहुल गांधी की अपनी है। उनका आचरण कुछ ऐसा है वक्तृत्व शैली है जिसमें जैसे बौना चला आकाश को बातचीत या परस्पर संवाद छूने! वडेट्टीवार के कथन में का ‘टच’ है। अभी उन्हें विरोधाभास है क्योंकि जब वह मौका ही कितना मिल राहुल को काबिल नेता मानते हैं पाया है? उनकी शिकायत तो नेता में वक्तृत्व कला या है कि संसद में उन्हें बोलने भाषण देने की योग्यता तो रहती नहीं दिया जाता, माइक ही है, अन्यथा वह नेता कैसे बंद कर दिया जाता है।

यदि अच्छे वक्ताओं का नाम लिया जाए तो लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाषचंद्र बोस अपने समय के तेजतर्रार वक्ता थे जो जनमत को आंदोलित कर देते थे। महात्मा गांधी उतने अच्छे वक्ता या ओरेटर नहीं थे लेकिन फिर भी वे बहुत सफल संवादकर्ता या कम्युनिकेटर थे। वे भारत की राजनीति की धुरी थे। जवाहरलाल नेहरू जोश में बोलते थे लेकिन उनकी भाषा में उर्दू शब्दों की बहुतायत रहा करती थी। बीजेपी में अटलबिहारी वाजपेयी बेजोड़ वक्ता रहे जिनकी भाषा में लालित्य था। वे कविहृदय वाले संवेदनशील नेता थे।

उनकी तुलना में लालकृष्ण आडवाणी कुशल संगठक होने के बावजूद आमसभाओं में अटल जैसा जादू नहीं दिखा पाते थे। बाल ठाकरे का भाषण बेहद जोशीला और आक्रामक हुआ करता था। वक्तृत्व के मामले में उनकी कार्बन कॉपी उनके भतीजे राज ठाकरे को माना जा सकता है। उद्धव में वह बात नहीं है जो बाल ठाकरे में थी। संस्कृत में कहा गया है- ‘वक्ता दशसहस्त्रेषु’ अर्थात 10,000 लोगों में एक वक्ता होता है। वक्ता बन जाना हर किसी के बस की बात नहीं है।

यह ईश्वरीय देन या सरस्वती की कृपा से संभव होता है। एक नामी वकील कोर्ट में जोरदार बहस कर लेगा लेकिन जरूरी नहीं कि सार्वजनिक सभा में बढ़िया भाषण दे। भाषण वह है जो श्रोताओं के हृदय की गहराइयों को छू जाए और उन्हें मंत्रमुग्ध कर दे। एक घंटा भाषण सुनने के बाद भी श्रोता और सुनने की चाह रखें। अंग्रेजी में डा। राधाकृष्णन ऐसे ही प्रभावशाली वक्ता माने जाते थे। महामना मदनमोहन मालवीय व लाला लाजपतराय अपने समय के प्रभावशाली वक्ता थे। बीजेपी की सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषणकला की वजह से है।