कश्मीर में नेताओं पर हमले BJP में मची भगदड़

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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की सख्ती के बावजूद आतंकवादी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. खास तौर पर बीजेपी नेता आतंकियों के निशाने पर हैं. वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत करने के लिहाज से सरपंचों का चुनाव कराया गया था. कड़ी सुरक्षा के बीच हुए इस चुनाव के लिए मतदान हुआ था. गत वर्ष 5 अगस्त को धारा 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाया गया था. इन सारे कदमों के बाद भी पाकिस्तानपरस्त ताकतें अपना खूनी खेल जारी रखे हुए हैं. कश्मीर के सरपंच और बीजेपी नेता आतंकियों के निशाने पर हैं. कुलगाम में आतंकवादियों ने बीजेपी नेता व सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके पहले आतंकियों ने कुलगाम जिले में ही अखरन के बीजेपी नेता व सरपंच आरिफ अहमद पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था.

पिछले माह बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष वसीम बारी, उनके पिता व भाई की उनकी दूकान के भीतर ही गोली मारकर आतंकियों ने हत्या कर दी थी. वसीम बारी को 10 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा मिली थी लेकिन हमले के समय सभी पुलिस वाले नदारद थे. ऐसे दहशत भरे माहौल में 24 घंटे के भीतर निजी कारणों का हवाला देते हुए बीजेपी के 4 नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. यदि ऐसा ही खौफ जारी रहा तो कश्मीर में निर्वाचित सरकार बनाना तो दूर, सरपंचों के चुनाव भी नहीं हो पाएंगे. कश्मीर घाटी के जो मुस्लिम नेता बीजेपी में शामिल हुए थे, वे अब आतंकियों से अपनी जान के लिए खतरा महसूस कर रहे हैं. जिन नेताओं ने इस्तीफा दिया, उन्होंने एलान किया कि आज के बाद उनका बीजेपी से कोई नाता नहीं है और उनके कारण किसी के जज्बात को ठेस पहुंची है तो वे इसके लिए माफी चाहते हैं. बीजेपी की सारी मजबूती जम्मू में है लेकिन कश्मीर घाटी में अपनी मौजूदगी बनाना उसके लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है. नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी के अधिकांश नेताओं की नजरबंदी कायम है, कश्मीर में गिरीशचंद्र मुर्मू की जगह मनोज सिन्हा को नया उपराज्यपाल बनाया गया है. क्या इससे घाटी के हालात सुधर जाएंगे और क्या कभी वहां निर्वाचित सरकार आ सकेगी? आतंकवाद का अभी तक पूरी तरह सफाया नहीं हो पाया है और घाटी के बीजेपी नेता दहशत महसूस कर रहे हैं.