कभी वनवास, कभी टेंट में गुजर-बसर, मोदी ने दिलाया रामलला को पक्का घर

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो. कितने ही लोगों की उम्र किराए के मकान में गुजर जाती है और स्वयं का घर नसीब नहीं होता.’’

हमने कहा, ‘‘घर बनाने के लिए संकल्प की जरूरत होती है. आपने पुरानी फिल्म ‘तेरे घर के सामने’ में देव आनंद को नूतन के सामने गाते देखा होगा- एक घर बनाऊंगा तेरे घर के सामने, दुनिया सजाऊंगा तेरे घर के सामने! इसके भी बहुत पहले केएल सहगल ने गाया था- इक बंगला बने न्यारा! फिल्म ‘घरोंदा’ में भूपेंद्र की आवाज में गीत है- दो दीवाने शहर में, रात या दोपहर में, आबोदाना ढूंढ़ते हैं, एक आशियाना ढूंढ़ते हैं. उर्दू भाषा में किसी को अपने घर आमंत्रित करने के लिए पूछते हैं- आप हमारे गरीबखाने में कब तशरीफ ला रहे हैं. इस पर अगला व्यक्ति जवाब देता है- नेकी और पूछ-पूछ! हम कल ही आपके दौलतखाने आएंगे.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कितने ही लोग घर बनाने के बाद इसलिए पछता रहे हैं क्योंकि पुराने किराएदार वहां कब्जा जमा कर बैठे हैं और घर खाली ही नहीं करते. ऐसी हालत को देखते हुए आजकल किराएदार या नौकर से 11 महीने का एग्रीमेंट कर लिया जाता है ताकि वह स्थायी रूप से डेरा न जमा पाए और उसे आसानी से भगाया जा सके. कुछ लोग अपने अतिरिक्त मकान में हाउसकीपर या केयरटेकर के नाम पर किराएदार रख लेते हैं.’’

हमने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों के हाउसिंग बोर्ड और बिल्डरों की हाउसिंग सोसाइटी को पीछे छोड़ कर सबसे बड़े होम प्रोवाइडर की ऐतिहासिक भूमिका निभाई है. राजीव गांधी ने तो सिर्फ राम जन्मभूमि का ताला खुलवाया था, आडवाणी, जोशी, उमा भारती, साध्वी रितंभरा और अशोक सिंघल की मौजूदगी में कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी ढांचा गिराया था लेकिन असली रचनात्मक काम कर दिखाया है तो सिर्फ मोदी ने! उन्होंने कहा कि एक समय था कि रामलला टेंट में थे. अब न सिर्फ रामलला को पक्का घर मिला है बल्कि देश के 4 करोड़ गरीबों को भी पक्का घर मिला है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मोदी हैं तो मुमकिन है. वैसे रामायण को राम का अयन (घर) कहा गया है. इसलिए जो लोग अयोध्या नहीं जा पा रहे हैं, वे घर बैठे रामायण पढ़ सकते हैं.’’