अमृतलाल में चीते पुनर्जीवित, मोदी के विजन में छुपा देश का हित

    Loading

    तानाजी म्हणाला, नेताजी ‘‘निशानेबाज, पितृपक्ष में लोग पिंड छोड़ते हैं लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने चीते छोड़ दिए. वैसे छोड़ना त्याग का प्रतीक होता है. संस्कृत में कहा गया है- इर्दं न मम अदति यह मेरा नहीं है. जिस चीन से ज्यादा लगाव हो, उसे छोड़ देना साधु स्वभाव के व्यक्तियों का लक्षण है. आपने देखा होगा कि कितने ही लोग धूम्रपान या मदिरापान छोड़ने का इरादा जताते हैं लेकिन फिर इसे निभा नहीं पाते.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आप गलत तरीके से व्याख्या कर समस्या बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी के विजन या विहंगम दृष्टिकोण को समझने की कोशिश कीजिए. आप कह सकते हैं कि बाज की नजर, बाजीराव की तलवार, चीते की चाल और मोदी के विजन पर शक नहीं किया करते. पीएम ने क्या कहा, इस पर गौर कीजिए. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में चीतों को भारत की धरती पर पुनर्जीवित कर हम जैव विविधता की टूटी कड़ी को फिर से जोड़ रहे हैं. अमृत में वो सामर्थ्य होता है जो मृत को भी पुनर्जीवित कर देता है. चीते दौड़ेंगे तो इको टूरिज्म बढ़ेगा. देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज हमें समझ में नहीं आया कि चीते और देश के नेतृत्व में कौन सा सामंजस्य है? देश के अन्य प्रधानमंत्री विदेश से बिल्ली का बच्चा तक नहीं ला सके लेकिन पीएम पद पर 8 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके मोदी 8 चीते ले आए और अपने जन्मदिन पर उन्हें कूनो.. नेशनल पार्क में छोड़ दिया.’’ 

    हमने कहा, ‘‘यही तो समझने की बात है. जो लाया चीता, समझो वही जीता! चीता 3 सेकंड में 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ता है. मोदी सरकार की रफ्तार भी बहुत तेज है. पुरानी सरकारों की आधीअधूरी योजनाएं उन्होंने झटपट पूरी कर दिखाईं. वे नया भारत बना रहे हैं. नए-नए नारे बढ़ रहे हैं. लालबहादुर शास्त्री के नारे ‘जय जवान जय किसान’ में अटलबिहारी वाजपेयी ने जय विज्ञान जोड़ा. चीता अपने शिकार पर पलक झपकते टूट पड़ता है. मोदी की रणनीति के सामने विपक्ष का भी यही हाल हो गया है. चीते की फुर्ती से प्रेरित होकर विकास की गति भी तीव्र हो जाएगी.’’