हुआ तलाक, टूटी शादी, पत्नी बनाया करती थी सिर्फ मैगी

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कर्नाटक के बेल्लारी में ऐसा मामला सामने आया जिसमें पति ने पत्नी को इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि वह खाने के नाम पर सिर्फ मैगी बनाना जानती थी. वह दूकान से सिर्फ मैगी लाती थी और सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक सिर्फ मैगी ही पकाया करती थी. इसके अलावा उसे कुछ भी बनाना नहीं आता था और न ही वह सीखना चाहती थी.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आज की जनरेशन की फूड हैबिट्स ही कुछ ऐसी हैं. उन्हें हलुआ, उपमा, आलूपोहा, इडली, पकौड़े खाना अच्छा नहीं लगता. वे मैगी, पास्ता, नूडल्स, पिज्जा, सैंडविच, चाइनीज जैसे फास्ट फूड के शौकीन हो गए हैं. इन्हीं चीजों से अपना पेट भरते हैं, इसलिए दाल-चावल-रोटी-सब्जी खाना ही नहीं चाहते. यह एक खतरनाक ट्रेंड है. इससे कुपोषण हो सकता है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यहां कुपोषण नहीं, बल्कि मैगी के मुद्दे पर तलाक हो गया. पति आखिर कब तक प्रतिदिन नाश्ते से लेकर डिनर तक सिर्फ मैगी खाता? ऐसी सजा भुगतने की बजाय उसने ऐसी ‘मैगी मेनिया’ वाली बीवी को तलाक देना ही उचित समझा. ऐसे भी केसेस आए हैं कि डबल मसाला डालकर मैगी खाने से लोगों को पेट का अल्सर हुआ है. अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित भोजन करना चाहिए जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन और मिनरल्स हों.’’ 

    हमने कहा, ‘‘पिछले समय मैगी पर बैन भी लगाया गया था जो कुछ माह बाद हट गया. मैगी उस विज्ञापन से लोकप्रिय हुई जिसमें बेटी कहती है कि भूख लगी है तो उसकी मां कहती है- बस टू मिनट्स! वह झटपट मैगी बना देती है. कभी मीठी सेवइयां बना करती थीं लेकिन अब तो मैगी ही चल पड़ी है. 

    पहले लड़कियां सहजता से खाना पकाना सीख जाती थीं लेकिन अब वे इसे जरूरी नहीं मानतीं. ऐसी लड़की को शादी के बाद दिक्कत जाती है. जहां घर में खाना बनाने वाला पंडित लगा हो या ऑनलाइन जोमैटो या स्विगी से खाना मंगाया जाता हो, वहां की लड़कियां सिर्फ मैगी ही बनाती हैं.