नेता निभाएं जनसेवा का कमिटमेंट, चुनाव लोकतंत्र का टूर्नामेंट

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हम मान कर चलते हैं कि चुनाव लोकतंत्र का पंचवर्षीय टूर्नामेंट है. इसमें राजनीति के आलराउंडर खिलाड़ी भाग लेते हैं जिनके मुकाबले कोई भी अनाड़ी टिक नहीं पाता. सत्तारूढ़ पार्टी अपना विकेट बचाने केलिए जी जान लगा देती है जबकि विपक्ष अपनी फिरकी गेंदबाजी से उसे क्लीन बोल्ड करने की फिराक में रहता है. चुनाव आयोग अम्पायर की भूमिका निभाता है.’’

हमने कहा, ‘‘जब कोई पार्टी हारने लगे तो कहती है कि चुनावी पिच ठीक नहीं था. खेलपट्टी पूरी तरह बेजान थी. वोटों की गेंद उछाल ही नहीं ले रही थी. जिस तरह गेंदबाज बल्लेबाज को आउट कराने के लिए डीआरएस का सहारा लेता है वैसे ही हारा हुआ प्रत्याशी चुनाव आयोग के सामने अपील करता है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘सिर्फ क्रिकेट से चुनाव की तुलना क्यों की जाए? हॉकी और फुटबाल में गोल किया जाता है उसी तरह नेता भी चुनाव जीतने के लिए लक्ष्य या गोल पर ध्यान देते हैं. कभी वे अनर्गल भाषण देकर फाउल करते हैं तो कभी उनकी गेंद आचारसंहिता की साइडलाइन के बाहर चली जाती है. मामला बराबरी पर आ जाए तो पेनाल्टी कॉर्नर से फैसला होता है.’’

हमने कहा, ‘‘आप चुनाव की कबड्डी से तुलना क्यों नहीं करते? सत्तापक्ष ने रेडर को विपक्षी गठबंधन चपलता से घेरने की कोशिश करतका है. रेडर सतर्क रहा तो घेरने वालों को ‘बाद’ कर वापस अपने पाले में पहुंच जाता है. कबड्डी में प्रतिपक्षी की पकड़ नाकाम करते हुए दम साधकर कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए लाइन को टच करना पड़ता है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कहीं-कहीं चुनाव विभिन्न चरणओं या अलग-अलग टप्पे में होते हैं. बास्केट बॉल में भी ऐसे ही टप्पे लगाते हुए उछलकर गेंद को ऊंचाई पर टंगी जालीदार बास्केट में डालना पड़ता है.’’

हमने कहा, ‘‘खेल में नियमोल्लंघन के और चुनाव में आचारसंहिता उल्लंघन के मामले भी तो हुआ करते हैं. इसलिए जो भी गठबंधन या टीम बने उसमें अनुशासन होना चाहिए. क्रिकेट के समान चुनावी राजनीति में भी गुगली फेंकी जाती है. चुनावी टूर्नामेंट तभी आदर्श बनेगा जब उसमें से लक्ष्यविहीन, सत्तालोलुप, मतलब परस्त उम्मीदवारों को मतदाता बाहर का रास्ता दिखा दें.’’