तहसीलदार गुस्से से तमतमाई, किसान को कैसे अंग्रेजी आई

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पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज, देश के किसानों को इस मुल्क की सरजमीं और यहां की भाषा से प्रेम होना चाहिए. उन्हें मालूम होना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था. अटलबिहारी वाजपेयी ने इस नारे में ‘जय विज्ञान’ का पुछल्ला जोड़ दिया था. सूखाग्रस्त क्षेत्र के किसानों को भी खेती करते समय उत्साह के साथ मनोजकुमार की फिल्म ‘उपकार’ का गीत गाना चाहिए- मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती ! किसान यह भी गा सकते हैं- मेरे देश में पवन चले पुरवाई! फिल्मों में दिखाया गया है कि गाने नाचने से फसल जल्दी लहलहाने लगती है. मुंशी प्रेमचंद ने ‘गोदान’ में ‘होरी’ नामक किसान की दुखभरी कहानी लिखी है.

उनका साहित्य किसानों मजदूरों पर केंद्रित है. फिल्म ‘मदर इंडिया’ में दिखाया गया कि किसानों का शोषण किस प्रकार किया जाता है. ‘दो बीघा जमीन’ में भी दिखाया गया कि कारखाना मालिक जमीन हथियाना चाहता है, ऐसी हालत में किसान (बलराज साहनी) कोलकाता की सड़कों पर हाथरिक्शा खींचने को मजबूर हो जाता है. हमारे देश में किसान सदियों से विवश या लाचार रहे हैं. मध्यप्रदेश के देवास जिले के सोनकच्छ का एक किसान महिला तहसीलदार के सामने अंग्रेजी में बोलने लगा तो वह भड़क गईं. उन्हें लगा कि यह औकात से बाहर जा रहा है. उन्हें अंग्रेजी बोलने वाले किसान का आत्मविश्वास हजम नहीं हुआ. उन्होंने उस किसान को ‘अंडे से निकले चूजे’ तक कह दिया.”

हमने कहा, “तहसीलदार को लगा होगा कि डरा-सहमा किसान उन्हें हुजूर, माई-बाप कहते हुए हिंदी या देहाती बोली में गिडगिड़ाएगा. वह किसान पढ़ा-लिखा रहा होगा तभी तो अंग्रेजी बोलने लगा. तहसीलदार को समझना चाहिए कि जमाना बदल गया है. अब सुशिक्षित व्यक्ति भी खेती-किसानी करते हैं. सिर्फ साहबों को अंग्रेजी बोलने का हक नहीं है.” 

पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, तहसीलदार को अखर गया कि एक किसान उनके सामने इंग्लिश बोलने की जुर्रत क्यों कर रहा है! इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने तहसीलदार का तबादला करने का आदेश दे दिया.”