काश, 1947 में मोदी PM होते, अमित शाह लगा रहे कल्पना कुंड में गोते

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, यह मत समझिएगा कि केवल कवि या कहानी लेखक कल्पनाशील होते हैं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी कल्पनाशीलता या इमेजिनेशन में सभी को मात दे दी है. उन्होंने कहा कि अगर भारत की आजादी के समय नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री होते तो करतारपुर साहिब और ननकाना साहिब इस देश का हिस्सा होते. शाह की इस कपोल कल्पना से पंजाब के वोटर बाग-बाग हो गए होंगे.’’

    हमने कहा, ‘‘इतना तो कोई भी समझ सकता है कि जमीनी वास्तविकता को नजरअंदाज करने वाले बीजेपी नेताओं के पास कल्पनाशीलता की कोई कमी नहीं है. कभी वे कहते हैं कि काश सरदार पटेल देश के पहले पीएम होते तो कितना अच्छा होता और अब प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की कल्पना कर रहे हैं. इसे कहते हैं इतिहास को नकार कर मन के लड्डू फोड़ना!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मोदी का जन्म 1950 में हुआ था तो वे 1947 में कैसे पीएम बनते? यदि तब मोदी पीएम होते तो अब कौन होता? इन 75 वर्षों में तो अनेक पीएम बदल गए. 1947 में मोदी मौजूद होते तो किस पार्टी में होते? तब कांग्रेस, कम्युनिस्ट, मुस्लिम लीग को छोड़कर कोई पार्टी ही नहीं थी. इनमें से कोई भी मोदी को नहीं चलती. उनकी विचारधारा का जनसंघ 1951 में बना जब उनकी उम्र सिर्फ 1 वर्ष थी और बीजेपी 1980 में बनी. इसके अलावा यदि मोदी 1947 में पीएम बनते तो क्या उस समय के उपप्रधानमंत्री सरदार पटेल उनके अधीन होते? ये सारी कल्पना भी अमित शाह को करनी चाहिए.’’

    हमने कहा, ‘‘कोई सुखद कल्पनाओं के कुंड में मजे से डुबकी लगाए तो आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिए. सोचने में क्या हर्ज है! एचजी वेल्स ने टाइम मशीन की कल्पना की थी जिसके सहारे व्यक्ति भूतकाल में भी जा सकता था. आपने फिल्म ‘जुमांजी’ देखी होगी जिसके पात्र सदियों पहले चले जाते हैं. महान भारतीय संस्कृति और प्राचीन गौरव की बात करते-करते बीजेपी नेता वैदिक काल के कल्पना विश्व में भी जा सकते हैं. इस तरह वे 137 वर्ष पुरानी कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ देंगे. अंग्रेजी में कहावत है – ‘इफ विशेज वेयर हार्सेस, बेगर्स वुड राइड देम’ (यदि इच्छाएं अश्व होतीं तो भिखारी भी उन पर सवारी करते).