विधान मंडल में नया मेहमान, बच्चा बन सकता है नेता महान

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज मां का दर्जा भगवान के समान है. ईश्वर स्वयं पृथ्वी पर नहीं आया तो उसने मां को भेज दिया. माता अनसुया की गोद में ब्रम्हा, विष्णु, महेश बालक बनकर अवतरित हो गए थे. जगदम्बा माता का इतना ऐश्वर्य है कि उनकी आरती की एक पंक्ति है- इंद्र, कृष्ण तेरी करें आरती, चंवर कुबेर डुलाया करें. पुराणो में कहा गया है कि एक माता 100 पिता के बराबर होती है. मातृऋण से कोई भी उऋण नहीं हो सकता.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आपकी मातृभक्ति प्रशंसनीय है. ऐसे ही विचार सभी के होने चाहिए. आपने भजन सुना होगा- एक ने तुझको जनम दिया, दूजे ने तुझको पाला, कन्हैया किसको कहेगा तू मैया! अब हमें यह बताइए कि आपने मां की महिमा का विषय आज क्यों चर्चा के लिए निकाला?’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मां की ममता की कोई बराबरी नहीं हो सकती. मातृत्व में नारी की संपूर्णता है. महाराष्ट्र विधान मंडल सत्र में नाशिक की एनसीपी विधायक सरोज अहीरे वाघ अपने ढाई महीने के बच्चे को गोद में लेकर पहुंची. यह भावना और कर्तव्य का अनुपम मेल था. इतना छोटा बच्चा बगैर मां के रह नहीं सकता और दूसरी ओर जनप्रतिनिधि के रूप में अपना कर्तव्य निभाने के लिए भी सरोज तत्पर थीं. उन्होंने आत्मविश्वास पूर्वक कहा कि मैं दोनों भूमिका निभाने का प्रयास करूंगी. मुझे अपने क्षेत्र की जनता को भी जवाब देना है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘इसके पूर्व न्यूजीलैंड की महिला पीएम भी अपने शिशु को साथ लेकर पार्लियामेंट पहुंची थीं. निश्चित रूप से महिलाएं मल्टीटास्किंग रहती हैं और एक साथ कई काम बखूबी निपटा लेती हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज विधायक सरोज के बेटे का नाम प्रशंसक है. वह मन ही मन सदन के रचनात्मक कामकाज की प्रशंसा करेगा. बच्चों में बड़ों की तुलना में ग्रहण शक्ति या ग्रैस्पिंग पावर अधिक होती है. 

    जब अभिमन्यु ने माता सुभद्रा के गर्भ में रहते हुए चक्रयूह भेदने की कला सीख ली थी तो ढाई महीने का प्रशंसक भी अभी से अपने अवचेतन मस्तिस्क में विधायी कामकाज सीख लेगा. प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण, काम रोको प्रस्ताव, मंत्री का वक्तव्य, स्पीकर की रूलिंग सभी की जानकारी उसे अभी से मिलने लगेगी. आगे चलकर वह जन्मजात नेता या बॉर्न लीडर बन सकता है.’’