nishanebaaz-bihar-under-construction-bridge-connecting-khagaria-and-bhagalpur-districts-collapsed

यह पुराना पुल नहीं था इसको बनाने में भ्रष्टाचार हुआ.

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा,‘‘निशानेबाज, बिहार में आंधी और वर्षा की वजह से भागलपुर और खगड़िया को जोड़नेवाला पुल गिर गया. इसके निर्माण पर 1,700 करोड़ रुपए की लागत आई थी. हमने कहा, ‘‘प्राकृतिक प्रकोप से बहुत कुछ ढह जाता है या मटियामेट हो जाता है. एक पुल टूटा है तो दूसरा बन जाएगा. यदि एक ही पुल 100 साल तक चले तो मजदूरों को रोजगार कैसे मिलेगा. और इंजीनियर, ठेकेदार और नेता भी भूखे मर जाएंगे. इसलिए पुल निर्माण योजना निरंतर चलानी है तो पुराने पुल टूटते-ढहते रहने चाहिए.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘यह पुराना पुल नहीं था इसको बनाने में भ्रष्टाचार हुआ. मसाले में सीमेंट कम और रेत ज्यादा डाली गई तभी यह जर्जर पुल आंधी-पानी को बर्दाश्त नहीं कर पाया.’’

    हमने कहा, ‘‘एकदम किसी नतीजे पर मत पहुंचिए. पुल ढहने की घटना उच्चस्तरीय जांच किसी रिटायर्ड हाईकोर्ट जज के नेतृत्व में जांच समिति बनाकर की जाएगी. इसमें स्थापत्य विशेषज्ञ और बड़े अधिकारियों का समावेश होगा. इन सभी को जांच समिति की बैठक का भत्ता मिलगा. समिति रिपोर्ट जारी कर अपनी तकनीकी राय देगी कि पुल क्यों गिरा. ऐसी जांच पर सरकारी खजाने के लाखों रुपए खर्च होंगे. पुल को लेकर विधानसभा में बहस होगी. कोई इसके पीछे विदेशी हाथ भी बता सकता है. साहित्यप्रेमी पुल को लेकर कविताओं की रचना करेंगे या दुष्यंत कुमार की काव्य पंक्ति दोहराएंगे- तू किसी रेल सी गुजर जाती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज जांच समिति की आंच छोटे लोगों को ही लगती है. बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी मगरमच्छ बच जाएंगे और इल्जाम छोटे ठेकेदार या मजदूरों पर आएगा. इसके बाद जब अगला पुल बनेगा तो उसमें और ज्यादा कमीशनखोरी होगी. नेता, इंजीनियर, ठेकेदार की जेब भरेंगी और तब बनने वाले पुल पर वैधानिक चेतावनी लगाई जाएगी कि इसे सिर्फ दूर से देखें. इस्तेमाल अपनी जोखिम पर करें. सरकार कोई मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है.