nishanebaaz-Don't keep any sorrow in mind, get happiness in flight from Sukhoi

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं. सुख के क्षण सीमित हैं, जबकि दुख की घड़ियां बहुत लंबी महसूस होती हैं. व्यक्ति दुख के समय ईश्वर को याद करता है. कहा गया है- सुख में सुमिरन सब करे, दुख में करै न कोय, जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय! एक गीत है- सुख के सब साथी, दुख में ना कोय! एक सर्वे के मुताबिक स्वीडन के लोग सबसे ज्यादा सुखी हैं जबकि सुख के मामले में भारत को पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल से भी पीछे बताया गया है.’’

हमने कहा, ‘‘बेकार के सर्वे पर भरोसा मत कीजिए. सुख और दुख इंसान के मूड या मन:स्थिति पर निर्भर करते हैं. कुछ अरबपति भी अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं हैं और सोने के लिए नींद की गोलियां लेते हैं. उन्हें अपने व्यवसाय-साम्राज्य की चिंता घेरे रहती है. जो फक्कड़ आदमी होता है, वह बेफिक्र होकर गाढ़ी नींद सोता है. उसकी सोच रहती है- कुछ लेना न देना, मगन रहना! प्रसन्न रहना एक स्वभाव है जिसे अपनाया जा सकता है. लोग जैसे ही उत्तरप्रदेश की राजधानी पहुंचते हैं वहां बोर्ड पर लिखा रहता है- मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं. गुजरातियों में एक नाम रखा जाता है- हसमुख भाई! ऐसे व्यक्ति के लिए हमेशा हंसमुख या खुशमिजाज रहना जरूरी हो जाता है. महाराष्ट्र में चिंतामन नाम के लोग मिलेंगे. शायद उनके मन में हमेशा चिंता बनी रहती होगी. व्यक्ति को अकेले खुश रहना पर्याप्त नहीं है, उसे खुशी बांटनी चाहिए और दूसरों को भी सुखी या खुश करना चाहिए. मुकेश ने गाया था- किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘विश्वस्तर पर खुशहाली की एक इंडेक्स तैयार की गई है. इससे पता चलता है कि कहां के लोग ज्यादा खुश हैं. भारत में सिक्किम राज्य के लोग सबसे ज्यादा खुश माने जाते हैं. दुख की वजह असंतोष है. यदि इंसान संतुष्ट हो जाए तो दुख उसके पास फटक ही नहीं सकता. सुख की संभावनाएं अनंत हैं. कबीरदास ने कहा था- मेरो मन अनत कहां सुख पावै, जैसे उड़ि जहाज को पंछी, फिर जहाज पे आए!’’

हमने कहा, ‘‘सत्ता सुख भोगनेवाले नेताओं को लगता है कि कहीं चुनाव के बाद वे सत्ता से बाहर न हो जाएं. यही आशंका उनके दुख का कारण बनती है. विपक्ष में रहनेवाला नेता इसलिए दुखी है क्योंकि उसे सत्ता पाने की छटपटाहट है. गौतम बुद्ध ने कहा था कि इच्छाएं दुखों का मूल हैं. इच्छा पूरी न हो तो दुख होता है. जब दुख का आवेग संभलता नहीं तो क्रोध आता है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सुख चाहना है तो अपने मकान का नाम सुखसागर रख लो. सुख की चाह में भटकने की बजाय पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल के बाद वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुखोई विमान में उड़ान भरी.’’