पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आश्चर्य की बात है कि यूएन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन की बैठक में कोई भी ऐरा-गैरा कैसे घुस आता है. दुष्कर्म का आरोपी और भगोड़ा नित्यानंद संयुक्त राष्ट्र की एक मीटिंग में शामिल हुआ. वह 2019 में भारत से भाग गया था. दक्षिण भारत से गुजरात आया और फिर देश से फरार हो गया. उसने एक द्वीप पर अपना देश ‘कैलासा’ बनाने का दावा किया है. वह खुद को भगवान बताता है.’’
हमने कहा, ‘‘स्वयं को भगवान बतानेवाले पाखंडी बाबाओं के काले कारनामों से सारा देश परिचित है. जब इनकी ठगी और व्यभिचार का भांडा फूटता है तो सीधे जेल जाने की नौबत आती है. किसी को तो उम्र कैद तक हो जाती है. आसाराम और रामरहीम की मिसाल सामने है.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महिला भक्तों से घिरे रहनेवाले नित्यानंद को भारत में जब पकड़ा गया था तो उसने पुलिस को बताया था कि वह नपुंसक है और दुष्कर्म कर ही नहीं सकता. जमानत मिलते ही वह विदेश भाग गया या भगा दिया गया. यूएन की मीटिंग में जिस महिला ने नित्यानंद का प्रतिनिधित्व किया, उसका नाम विजयप्रिया नित्यानंद है. उसने खुद को यूनाइटेड स्टेट्स आफ कैलासा की परमानेंट एम्बेसडर बताया. उसने नित्यानंद को हिंदू धर्म का सर्वोच्च गुरू बताते हुए कहा कि उन्हें सताया जा रहा है और अपने देश में उपदेश देने के लिए वापस आने नहीं दिया जा रहा है. इस प्रतिनिधि ने मांग की कि नित्यानंद और कैलासा की 20 लाख हिंदू प्रवासी आबादी के उत्पीड़न को रोकने के लिए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपाय किए जाएं.’’
हमने कहा, ‘‘भगोड़े तो खुद ही वापस नहीं आना चाहते. वे जानते हैं कि भारत के कारावास उनका इंतजार कर रहे हैं. माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और ललित मोदी खुद ही भारत आना नहीं चाहते. यहां पहले ही इतने सपानंद, कृष्णानंद, सदानंद, परमानंद हैं कि उस भगोड़े बाबा नित्यानंद की यहां कोई जरूरत नहीं है. कैलासा नामक देश बनाने का उसका दावा बेतुका है. भारतवासी तो अपने तीर्थ कैलाश पर्वत को ही भगवान शंकर का निवास मानते हैं.’’