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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कुछ ऐसे भी तथाकथित हितैषी होते हैं जो नेता को चने के झाड़ पर चढ़ाने का काम करते हैं. यदि नेता अपना विवेक खोकर उनकी बातों में आ जाए तो फायदे की बजाय नुकसान भी हो सकता है. बिहार में यही चल रहा है. पहले तो आरजेडी नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीएम का चेहरा बताया. तेजस्वी की इस फेस रीडिंग के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं लेकिन पीएम बनने के लायक जितने भी गुण हैं, वे सभी नीतीश में हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘जब 2 नेता ऐसी बात कह रहे हैं तो नीतीश कुमार को भी अपने गुणों का आकलन या सेल्फ एसेसमेंट कर लेना चाहिए. कस्तूरी का मृग उसकी मादक गंध के आकर्षण से इधर-उधर भटकता है लेकिन यह नहीं जानता कि कस्तूरी उसकी नाभि में ही है. नीतीश भी सोचकर देखें कि क्या वे सचमुच प्राइम मिनिस्टर मटीरियल हैं? जब इतने लोग उनके बारे मे कह रहे हैं तो झूठ थोड़े ही होगा! वे शीशे में अपनी छवि को निहारें और 2024 में पीएम बनने का पक्का इरादा कर लें. देश में अटल बिहारी जैसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हुए हैं. अब नीतीश के रूप में असली बिहारी इस पद का दावेदार हो सकता है. खास बात यह है कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में देश को बिहार से प्रथम राष्ट्रपति मिले थे लेकिन अब तक कोई बिहारी पीएम नहीं बन पाया.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इस मामले की असलियत समझिए. मोदी की लोकप्रियता और बीजेपी के प्रभाव को देखते हुए नीतीश ऐसा दुस्साहस कदापि नहीं करेंगे. पीएम की कुर्सी के लिए एक अनार सौ बीमार वाली कहावत लागू होती है. राहुल, ममता, केजरीवाल, के.चंद्रशेखर राव जैसे कितने ही दावेदार मिलेंगे. विपक्ष का बिखराव बीजेपी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जिन लोगों को बिहार का सीएम बनने की लालसा है, वे चालाकी से नीतीश को राष्ट्रीय राजनीति में भेजकर अपने लिए रास्ता बनाना चाहते हैं. ऐसे लोगों से ‘सुशासन बाबू’ नीतीश को सतर्क रहना चाहिए.’’