एक बड़ी गड़बड़ी होते-होते बच गई.
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में एक अजीबोगरीब घटना हुई. वहां बिजली गुल हो जाने से ऐसा गुल खिला कि दुल्हन बदल गई. वहां एक व्यक्ति की 3 बेटियों की शादी एक ही दिन तय थी. बड़ी बेटी का ब्याह दिन में निपट गया मगर 2 बेटियों की बारात रात में आई. बारात आते ही बिजली चली गई. दोनों दूल्हों को दुल्हन के साथ पूजा के कमरे में ले जाया गया. अंधेरे में पूजा की रस्म के दौरान दोनों दुल्हनें बदल गईं. उन्होंने दूसरे दूल्हे का हाथ पकड़कर पूजन किया. 5 घंटे बाद जब लाइट आई तो यह देखकर हड़कंप मच गया कि जोड़ी अदल-बदल हो गई है. इस गलती को सुधारकर सही दूल्हा-दुल्हन के फेरे लगवाए गए. एक बड़ी गड़बड़ी होते-होते बच गई.’’
हमने कहा, ‘‘बिजली विभाग को भी समझना चाहिए कि जिस पिता की 3 बेटियों की शादी एक ही दिन हो, उसके यहां बिजली गुल नहीं करनी चाहिए. जब बिजली नहीं थी तो लोग मशाल, लालटेन, पेट्रोमैक्स का इस्तेमाल करते थे. आज सभी विद्युत पर निर्भर हो गए हैं. जहां तक दुल्हन बदलने की बात है, तब किसी स्टेशन के प्लेटफार्म पर ट्रेन की प्रतीक्षा कर रही बारातों के बीच पर्दा प्रथा की वजह से गड़बड़ी में दुल्हन बदल जाती थी. घूंघट वाली नई-नवेली दुल्हन को पता ही नहीं चलता था कि वह किस बारात के साथ है. पता लगने पर गलती सुधारी जाती थी.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इसीलिए प्राचीन भारत में स्वयंवर की प्रथा थी, जहां वधू अपने मनपसंद वर को चुनकर उसके गले में वरमाला डालती थी. दुल्हन बदलने का कोई रिस्क ही नहीं रहता था. वैसे कहा जाता है कि जोड़ियां आसमान से बनकर आती हैं. मैरिजेस आर मेड इन हैवन, सेलिब्रेटेड ऑन अर्थ. जब 7 जन्मों का साथ हो तो दुल्हन कहां बदलेगी! लोग भी यही कहेंगे- दुल्हन वही जो पिया मन भाए!