nishanebaaz-Sonam Wangchuk, famous schoolteacher of '3 Idiots', goes on fast

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आपको फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में सोनम वांगचुक का किरदार याद होगा जिसकी सोच अन्य छात्रों से बिल्कुल भिन्न रहती है. वह घिसे-पिटे तरीके में विश्वास नहीं करता बल्कि आउट ऑफ दि बॉक्स जाकर सोचता है. उसका दृष्टिकोण रहता है कि जिस चीज में रुचि या लगाव है, वही करना चाहिए. सिर्फ रट्टू तोते बनकर डिग्री लेने में कोई मतलब नहीं है.’’

    हमने कहा, ‘‘आप आमिर खान की उस फिल्म की बात कर रहे हैं जो चेतन भगत के उपन्यास ‘फाइव पॉइंट सम वन’ पर बनी थी. आप रील लाइफ से बाहर निकलकर रीयल लाइफ में झांकिए. असली सोनम वांगचुक इन दिनों चर्चा में हैं जो कि प्रसिद्ध इनोवेटर हैं. वे एक अत्यंत गंभीर मुद्दे को लेकर हड्िडयां जमा देनेवाले माइनस 4 डिग्री तापमान में 5 दिन का अनशन कर रहे हैं. उनका कहना है कि लद्दाख में प्रकृति से जिस तरह छेड़छाड़ की जा रही है, वह बहुत महंगी पड़ेगी. लद्दाख में उद्योग स्थापित न किए जाएं व इंसानी गतिविधियां न बढ़ाई जाएं क्योंकि इस वजह से वहां ग्लेशियर पिघलने का खतरा बढ़ गया है. पहले ही वहां कम ग्लेशियर रह गए हैं. उन्होंने लद्दाख क्षेत्र के लिए अन्य सुरक्षा उपायों की भी मांग की है. जिस प्रकार 2013 में केदारनाथ में ग्लेशियर फूटने से आई बाढ़ में भीषण तबाही हुई थी वैसा ही लद्दाख में भी हो सकता है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इतनी तर्कसंगत बात पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उनका आंदोलन प्रतिबंधित कर उन्हें नजरबंद कर दिया गया. जब उन्हें 17,852 फीट की ऊंचाई पर खारदुंगला दर्रा जाने की अनुमति नहीं दी गई तो उन्होंने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ आल्टरनेटिव लद्दाख की छत पर अनशन शुरू कर दिया. सोनम वांगचुक ने आरोप लगाया कि लद्दाख अंधेरनगरी बन गई है. उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं लद्दाख की भूमि, पारिस्थितिकी, संस्कृति और रोजगार की रक्षा के लिए उनकी मांगों पर चर्चा के लिए तुरंत लद्दाख के नेताओं की एक बैठक बुलाएं.’’

    हमने कहा, ‘‘हिमालय के ऐसे क्षेत्रों में जहां पहाड़ दरकने, जमीन धंसने और ग्लेशियर पिघलने का खतरा बना रहता है, वहां सड़कें चौड़ी करना, सुरंग बनाने के लिए विस्फोट करना खतरनाक हो सकता है. जोशीमठ की आपदा ने सभी को सतर्क कर दिया है. सोनम वांगचुक ने चेतावनी दी है कि लेह-लद्दाख के लोग भविष्य में आतंक का रास्ता अपना सकते हैं. बेहतर होगा कि सरकार उनकी तर्कसंगत आवाज सुने.’’