मोदी की दाढ़ी अमर है तो तुम्हारे आवास भी अमर हो जाएंगे. इसलिए मोदी की दाढ़ी देखते रहो और आवास पाते रहो.’’
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, मन की बात कहने का एकाधिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है लेकिन अब तो बीजेपी के कुछ सांसद भी खुलकर अपने मन की बात कहने लगे हैं. मध्यप्रदेश में रीवा से बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं. जनार्दन ने दनादन बोलते हुए कहा कि सरपंचों को 15 लाख रुपए तक भ्रष्टाचार करने की छूट मिलनी चाहिए. कोई सरपंच इतनी रकम तक का भ्रष्टाचार करे तो उसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए. उनका यह संदेश कुछ ऐसा है कि रिश्वत खाओ और खाने दो! एक तरह से रिश्वत का स्टैंडर्ड रेट भी उन्होंने बता दिया.’’
हमने कहा, ‘‘सांसद ने यह बात शायद व्यंगात्मक लहजे में कही होगी. उन्हें बोलने दीजिए. बोलने में कंजूसी कैसी? वचनेषु किं दरिद्रता!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी अनुशासनवाली पार्टी है लेकिन अनर्गल बयानबाजी करनेवाले सांसद मिश्रा पर कोई रोक नहीं है. उन्होंने तो यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के आवास पीएम मोदी की दाढ़ी से निकलते हैं. उनके शब्द हैं- मोदी की दाढ़ी में घर ही घर हैं. एक बार हिलाते तो 50 लाख, दूसरी बार मटकाते हैं तो 1 करोड़! जितनी बार हिलाएंगे, घर ही घर मिलेंगे. इसलिए आप लोग मोदी की दाढ़ी देखो. जब देखना बंद कर दोगे तो आवास मिलने बंद हो जाएंगे. जब तक मोदी की दाढ़ी रहेगी, आवास मिलता रहेगा. मोदी की दाढ़ी अमर है तो तुम्हारे आवास भी अमर हो जाएंगे. इसलिए मोदी की दाढ़ी देखते रहो और आवास पाते रहो.’’
हमने कहा, ‘‘सांसद की मोदी के प्रति इतनी श्रद्धा है तो वे उनके चरणों की ओर देखें. वे मोदी की 56 इंच की छाती पर भी निगाह डालें जिससे वे विदेशी नेताओं को जादू की झप्पी दिया करते थे. जबसे कोरोना आया, मोदी ने गले मिलना छोड़ दिया. वे मोदी की दाढ़ी क्यों देख रहे हैं जबकि कांग्रेस के श्रद्धाहीन लोग पीएम की दाढ़ी में पेगासस, महंगाई, बेरोजगारी के तिनके खोजा करते हैं.’’