पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज कुछ लोग छुट्टी लेते हैं तो कुछ की छुट्टी कर दी जाती है. किसी कामचोर या लापरवाह कर्मचारी को उसका बॉस नौकरी से छुट्टी करते हुए कह देता है- यू आर फायर्ड. कुछ ऐसे भी कभी लोग होते हैं जिन्हें न तो अपने परिवार से कोई सरोकार होता है, न कोई हॉबी! ऐसे लोग छुट्टी नहीं लेते. उनकी जिंदगी कोल्हू के बैल के समान हुआ करती है. इस तरह के लोगों को अंग्रेजी में वर्कोहलिक कहा जाता है.’’ हमने कहा, ‘‘आज आप छुट्टी के मुद्दे पर क्यों चर्चा कर रहे हैं? सभ ीजानते हैं कि भारत छुट्टियों का देश है. यहां विभिन्न धर्मों के त्योहारों, राष्ट्रीय पर्वों पर छुट्टी मिलती है. स्कूल के शिक्षकों को बाकी छुट्टियों के अलावा दिवाली की छुट्टी व ग्रीष्मावकाश मिलता है. जजों को अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा समर वेकेशन मिलता है. इसका इतिहास यह है कि आजादी के पहले अधिकांश जज अंग्रेज हुआ करते थे. तब हवाई जहाजों का आज जैसा प्रचलन नहीं था. ये जज पानी के जहाज से इंग्लैंड जाते थे जो 15-20 दिन में पहुंचता था. भारत से इंग्लैंड आने जाने की समुद्री यात्रा में 1 महीना बीत जाता था और वहां 1 महीना छुट्टी बिताते इस तरह 2 महीने तक जज अनुपलब्ध रहते थे.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज हम जजों की नहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अधिकृत छुट्टी की बात कर रहे हैं. उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि मैं छुट्टी पर नहीं था बल्कि डबल ड्यूटी कर रहा था. मैंने मुख्य सचिव व अधिकारियों से वर्चुअल मीटिंग की और 65 फाइलें क्लीयर कीं.’’ हमने कहा, ‘‘छुट्टी लेना कोई गुनाह थोड़े ही है. लोग कैजुअल लीव, स्पेशल लीव, अर्न्ड लीव, सिक लीव, ट्रेवल लीव कुछ भी नहीं छोड़ते. कुछ भ्रष्ट अधिकारियों को जांच के दौरान जबरन छुट्टी पर भेज दिया जाता है. कोरोना काल में वर्कफ्राम होम का मतलब ऑफिस से छुट्टी ही तो था. सेना के लोग छुट्टी जमा करते हैं और फिर अपने घर लंबी छुट्टी पर लौटते हैं. तमिलनाडु में 4 दिन का कार्य सप्ताह का दिया गया है अर्थात हर हफ्ते 3 दिन छुट्टी. बैक जाते समय ध्यान रखना पड़ता है कि सेकंड या फोर्थ सैटरडे तो नहीं है. अमेरिका में 5 दिन काम और 2 दिन छुट्टी रहती है. हमें राजेंद्रकुमार की पुरानी फिल्म का गीत याद आता है- अब चार दिनों की छुट्टी है और उनसे जाकर मिलना है, जिस आस ने दिल को बांध लिया, उस आस से जाकर मिलना है.’’