आई मिलन की बेला, देखो आई केदारनाथ में मिले बिछुड़े भाई

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कितना दुर्लभ और सुखद संयोग है कि केदारनाथ ( Kedarnath) तीर्थ में बिछुड़े हुए 2 भाई एक दूसरे से मिले. इसके पहले मनमोहन देसाई की फिल्मों में ऐसी लॉस्ट एंड फाउंड स्टोरी रहा करती थी जिसमें कुंभ के मेले में बचपन में बिछुड़ने के बर्षों बाद जवानी में 2 भाई मिला करते थे.’’

हमने कहा, ‘‘लगता है आपको मनमोहन देसाई की फिल्म अमर अकबर एंथोनी याद आ रही है जिसमें अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और ऋषि कपूर जैसे तीनों भाइयों ने एकसाथ अपनी मां निरुपा राय को खून दिया था. मेडिकल साइंस में इस तरह सीधे खून कभी नहीं दिया जाता. फिल्मों में तमाम तरह की बेवकूफियां रहती हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘सवाल खून देने का नहीं, बिछुड़े भाइयों के मिलन का है. बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘वक्त’ में भी राजकुमार, सुनील दत्त और शशि कपूर जैसे बिछुड़े हुए भाई अंत में एक दूसरे से मिले थे. इसी तरह फिल्म यादों की बारात में धर्मेंद्र, विजय अरोरा और ऋषि कपूर जैसे भाइयों की मुलाकात हुई थी. अब सवाल उठता है कि क्या केदारनाथ में राहुल गांधी और वरुण गांधी की अचानक मुलाकात होने पर उनके मन में वह गीत गूंजा होगा- यादों की बारात निकली है आज उनके द्वारे, सपनों की शहनाई बीते दिनों को पुकारे. एक अन्य गीत है- बिछुड़े हुए मिलेंगे फिर किस्मत ने गर मिला दिया, उसका खुदा भला करे जिसने हमें जुदा किया. फिल्म दीवार में अमिताभ बच्चन ने शशिकपूर से कहा था- भाई, तुम ट्रांसफर क्यों नहीं ले लेते? क्या राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भी वरुण गांधी (Varun Gandhi) से कहा होगा- भाई, तुम बीजेपी से ट्रांसफर क्यों नहीं ले लेते?’’

हमने कहा, ‘‘आप फिल्मों की रील लाइफ से बाहर निकलकर रीयल लाइफ में आइए. गांधी परिवार के दोनों भाइयों ने पवित्र मंदिर के बाहर एक दूसरे का अभिवादन किया. उनके बीच कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई. वरुण की बेटी अनसुया से मिलकर राहुल बहुत खुश हुए. यह मुलाकात बहुत छोटी और गर्मजोशी भरी थी.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, एक भाई कांग्रेस का तो दूसरा बीजेपी का सांसद है. जहां तक मुलाकात की बात है तो खून खून को पुकारता है. जब एक भाई कहेगा तो दूसरा भाई सुनेगा. रामानंद सागर जीवित होते तो भाइयों की इस भेंट को राम-भरत मिलाप के नजरिये से देखते!’’