खटाई में पड़ने लगा करार, विपक्षी गठजोड़ में आ रही दरार

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जब गठबंधन (INIDA Alliance) में करार होते-होते दरार पड़ जाए तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए? क्या समय रहते दरार भरी नहीं जा सकती?’’

हमने कहा, ‘‘दरार को अंग्रेजी में क्रैक कहते हैं। कुछ जिद्दी, सनकी या क्रैक दिमाग के नेता मीठी खीर में मुट्ठी भर नमक की तरह गठबंधन में दरार डालने से बाज नहीं आते। गठबंधन बनाना मामूली बात नहीं है। हिंदी में कहावत है- कानी के ब्याह में नौ सौ जोखिम! गठबंधन ताश के महल जैसा होता है जिसका हवा के झोंके से बिखरने का अंदेशा बना रहता है।’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमने पढ़ा है कि जब सीमेंट कंक्रीट उपलब्ध नहीं था तब ताज महल बनाने के लिए संगमर्मर के पत्थरों को उड़द की दाल, गुड़, बेल के फल जैसी चीजों से जोड़ा गया। वहां आज तक दरार नहीं आई। यदि विपक्षी गठबंधन के नेताओं को यही सब चीजें खिला दी जाएं तो वे आपस में फेविकाल के जोड़ जैसे चिपक जाएंगे।’’

हमने कहा, ‘‘यह सब इतना आसान नहीं है। बीजेपी ने अपने ऑपरेशन लोटस के तहत शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस जैसी पार्टियों में गहरी दरार डाल दी है। इसके अलावा इस वर्ष भारत रत्न के जरिए भी विपक्षी नेताओं को भरमाया गया है। समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने से नीतीशकुमार पलटी मारकर एनडीए में चले आए। चौधरी चरणसिंह को यह सर्वोच्च अलंकरण देने से उनके पोते ने लोकदल का बीजेपी से गठबंधन कर लिया। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने भी आदर्श मामले के फिर खुलने के अंदेशे से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के कुंड में डुबकी लगा ली। बीजेपी के पास विपक्षी नेताओं को खींचने का चुम्बक है। कोई उसके पास प्यार से तो कोई जांच एजेंसियों के डर से चला जाता है। ऐसी हालत में विपक्षी गठबंधन की दरार उत्तराखंड के जोशीमठ की दरारों से भी ज्यादा गहरी है।’’