विद्या की देवी सरस्वती, कभी फेर देती हैं मति

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, विद्या, ज्ञान, संगीत व ललित कलाओं की देवी सरस्वती को लेकर एनसीपी नेता छगन भुजबल ने अनास्था जताई है. नवरात्र के इस पर्व में उन्होंने कहा कि स्कूलों व शिक्षण संस्थाओं से सरस्वती का फोटो हटाया जाए. इसकी बजाय वहां सावित्रीबाई बाई फुले, महात्मा फुले, डा. आंबेडकर और शाहू महाराज के चित्र लगाए जाएं जिनसे विद्यार्थी प्रेरणा ले सकें. सरस्वती को किसी ने देखा नहीं है इसलिए उनकी तस्वीर हटाई जाएं.’’ 

    हमने कहा, ‘‘कभी कभी सरस्वती किसी की मति फेर देती हैं. देवताओं के कहने पर सरस्वती ने राम को बहुत चाहनेवाली कैकयी की मति फेर दी थी तभी तो उन्होंने दशरथ से राम को वनवास का आदेश देने का वर मांगा था. यदि राम अयोध्या तक ही सीमित रह जाते तो रावण का वध कैसे होता! इसलिए यह कार्य जरूरी था. इसी तरह कुंभकर्ण ने जब प्रम्हा से वर मांगा तो सरस्वती ने उसकी मति फेर दी. 

    उसने 6 महीने की नींद का वरदान मांगा. ऐसा नहीं होता तो पहाड जैसे डीलडौल का कुंभकर्ण इतना खाना खा जाता कि लंकावासियों के लिए कुछ भी न बचता. सरस्वती ने मति फेर दी तभी तो भुजबल अश्रद्धालु हो गए. उन्होंने कहा कि सरस्वती को किसने देखा है? यदि ऐसी बात है तो राम, कृष्ण और शिव को भी किसने देखा? फिर भी करोड़ों लोगों की देवी-देवताओं में असीम आस्था है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘सरस्वती की कृपा हो तो मूर्ख भी महान विद्वान बन जाता है. कहते हैं कि कालिदास इतने बुद्धू थे कि जिस पेड़ की डाली पर बैठे थे, उसे ही काट रहे थे लेकिन जब सरस्वती का वरदान मिला तो उन्होंने रघुवंश, अभिज्ञान शाकुंतलम और मेघदूत जैसे उत्तम संस्कृत काव्य लिख डाले और महाकवि कहलाए.’’ 

    हमने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि देवी सरस्वती का फोटो नहीं हटाया जाएगा. किसी की क्या राय है, उससे हमें मतलब नहीं है. हम वही करेंगे जो जनता चाहती है. स्कूलों में समाजसुधारकों के चित्रों के साथ देवी सरस्वती का चित्र भी लगा रहेगा.’’