पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, एक पुराना फिल्मी गीत था- जलने वाले जला करें, दुनिया हमारे साथ है. वास्तव में जलन-कुढ़न ईष्र्या-द्वेष से व्यक्ति को दूर रहना चाहिए. एक अन्य गीत है- दुनियावालों से दूर, जलनेवालों से दूर, आजा-आजा चलें कहीं दूर- कहीं दूर!’’
हमने कहा, ‘‘आप जलनेवालों की चर्चा छोड़कर जल्लीकट्टू की ज्वलंत समस्या के बारे में सोचिए. तमिलनाडु (Tamil Nadu) में पोंगल त्यौहार पर जल्लीकट्टू (Jallikattu) के पहले दिन 2 पुलिस कर्मियों सहित 45 लोग घायल हो गए. यह ऐसा खेल है जो वहां की 2500 वर्ष पुरानी संस्कृति का हिस्सा है. इसमें बैलों और सांडों के सींगों पर रुपए बांधे जाते हैं. उनकी आंखों में लाल मिर्च का पाउडर डालकर बुरी तरह उकसा कर छोड़ा जाता है. खेल में शामिल लोगों को उन्हें काबू में करना पड़ता है. यह बड़ा जोखिम का काम है. कितने ही लोगों को बैल सींग या माथे से टक्कर मार देता है, अथवा कुचल देता है.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जल्लीकट्टू को हिंदी में ‘आ बैल मुझे मार’ नाम दिया जा सकता है. स्पेन की बुलफाइट में घोड़े पर सवार खिलाड़ी (मेटाडोर) सांड को उकसाता है और उसके हमले से बचते हुए उसको तलवार घोंपता चला जाता है. कहीं मेटाडोर पैदल ही लाल कपड़ा दिखाकर सांड को भड़काता है और फिर उसे बार-बार चमका देकर थका देता है जल्लीकट्टू को आप तमिलनाडु की बुलफाइट मान सकते हैं.’’
हमने कहा, ‘‘भारत में सदियों से बैलों के जरिए खेती की जाती रही है. बैलगाड़ी परिवहन का माध्यम रही है. टैक्टर तो बहुत बाद में आए. मुंशी प्रेमचंद की 2 बैलों की कहानी हीरा-मोती प्रसिद्ध है. जिस आदमी का दिमाग नहीं चलता उसे बैलबुद्धि कहते हैं महाराष्ट्र में पोला त्यौहार पर बैलों की पूजा की जाती है. भगवान शंकर का वाहन नंदी बैल है. कुछ चापलूस कार्यकर्ता अपने नेता की उल्टी-सीधी बातों पर भी नंदी बैल के समान सिर हिलाते हैं.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, शेयर मार्केट की तेजी को दर्शानेवाला बुल या बैल इन दिनों महत्वपूर्ण हो उठा है. वह इनवेस्टर को अच्छा-खासा रिटर्न दे रहा है. आप इसके प्रति श्रद्धा रखकर निवेश कर सकते हैं.’’