पद से आ जाती ठसन, ऐसे में मंत्री कैसे रहे सौम्य और शालीन

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य के मंत्रियों की छवि सुधारने के लिए उन्हें सौम्य और शालीन व्यवहार अपनाने की सलाह दी है. उन्हें समझाया है कि कोई भी नई गाड़ी न खरीदे. अपने से उम्र में बड़े कार्यकर्ता, समर्थक या किसी भी व्यक्ति को अपने पैर नहीं छूने दें. सभी मंत्री अपने विभागीय कार्यों में ईमानदारी, पारदर्शिता, तत्परता और तुरंत एक्शन की कार्यशैली को बढ़ावा दें.’’

    हमने कहा, ‘‘तेजस्वी ने मंत्रियों के लिए अच्छी आचार संहिता तय की है लेकिन जब कोई दबंग या बाहुबली मंत्री बन जाता है तो वह करेला और नीमचढ़ा के समान कडुवा हो जाता है. उसकी अकड़ और बढ़ जाती है. जब मंत्री पद की ठसन रहेगी तो वह सौम्य और शालीन कैसे रह पाएगा? जहां तक पैर छूने की बात है, श्रद्धा से चरण छूनेवालों की बजाय मतलब से पैर पकड़नेवाले चमचों की तादाद ज्यादा बड़ी होती है. 

    पुरानी बात है कि यूपी के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए कांग्रेस नेता पं. कमलापति त्रिपाठी जानबूझकर पैर फैलाकर कुर्सी पर बैठा करते थे ताकि सुबह से शाम तक आने वाले दर्जनों लोग उनके चरण छुएं. जो ऐसा नहीं करता था, उसे टेढ़ी नजरों से देखते थे. चरण छूनेवाला भी टटोलकर देखता है कि नेता में ऐसी कौन सी खासियत है कि उसके चरण मंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचे.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, तेजस्वी यादव ने मंत्रियों को सलाह दी कि किसी से भेंट के रूप में फूल या गुलदस्ते की बजाय किताब-कलम लेने के कल्चर को बढ़ावा दें.’’ हमने कहा, ‘‘तेजस्वी के पिता लालू यादव की खास दिलचस्पी पशुचारे में थी. आरोप है कि रेलमंत्री बनने के बाद वे किसी को रेल विभाग में नौकरी देने के बदले उसकी जमीन ले लिया करते थे. 

    जब इस तरह की मिसाल सामने है तो कोई आरजेडी मंत्री भेंट में किताब-कलम लेकर क्या करेगा? पॉवर हासिल करने की अक्ल किताब और पेन से नहीं आती! जहां तक तत्परता से फैसला करने की सलाह है, बिहार के कितने ही नेता अपहरण के मामलों को तेजी से निपटाने में एक्सपर्ट रहे हैं. हाथ में मोटी रकम आते ही अपने पाले हुए गिरोह से कहते हैं- जिसे किडनैप किया है, उसे तुरंत छोड़ दो!’’