पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की आलोचना करते हुए कहा कि 2 सूरत वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र को लूट रहे हैं। इस बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’’ हमने कहा, ‘‘इतिहास के पन्नों में जाइए तो पता चलेगा कि मराठों ने भी एक समय सूरत को लूटा था। मराठा हिस्ट्री में ‘सूरत की लूट’ का चैप्टर पढि़ए। इसे देखते हुए सूरतवालों पर आरोप लगाना हमें तो नहीं जंचता।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र को मिलने वाले कितने ही उद्योग गुजरात में ट्रांसफर करा लिए गए। क्या यह ‘मराठी माणुस’ के साथ अन्याय नहीं है? ऐसी बातों से मराठी मन दुखता है।’’
हमने कहा, ‘‘यह मराठी मन क्या होता है? हमने अब तक राजस्थानी मन, उत्तरप्रदेशीय मन, मध्यप्रदेशीय मन, छत्तीसगढ़ी मन, गुजराती मन या बंगाली मन के बारे में नहीं सुना!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यह आपकी गलती है। मराठी मन वह है जो छत्रपति शिवाजी महाराज, लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर, ग।दि। मांडगुलकर, आचार्य अत्रे, सेनापति बापट, बालासाहब ठाकरे, छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा फुले, डा। आंबेडकर से जुड़ा है। मराठी मन एक भावनात्मक जुड़ाव है। मराठी मन को टीस है कि आज तक महाराष्ट्र का कोई नेता देश का प्रधानमंत्री नहीं बना। यशवंतराव चव्हाण से लेकर शरद पवार तक इस अवसर से वंचित रह गए। अब आप हमें सूरत के बारे में बताइए।’’
हमने कहा, ‘‘सूरत टेक्सटाइल का जाना-माना केंद्र है। वहां का कपड़ा अच्छा होने पर भी सस्ता रहता है और महाराष्ट्र में सूरत की साड़ियां बिकती हैं। वहां हीरा तराशने कटिंग और पालिशिंग का काम होता है। इस तरह सूरत हीरा उद्योग में बल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स की बराबरी करता है। भूकंप से तबाह होने के बाद सूरत फिर से खूबसूरत बना दिया गया। इंसान की सूरत के साथ उसकी सीरत भी अच्छी होनी चाहिए। भगवान कृष्ण की मोहिनी मूरत और सांवली सूरत पर भक्त सूरदास और मीराबाई टीझ गए थे। आपने अशोक कुमार की फिल्म ‘मेरी सूरत तेरी आंखें’ देखी होगी। कवि दुष्यंत कुमार ने लिखा था- सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।’’