CCTV से होगी निगरानी अब पुलिस की मनमानी नहीं

Loading

हिरासत में होने वाली मौतों की समस्या काफी गंभीर है। 2019 में भारत में 1,731 लोगों की कस्टडी में मौत हुई। इनमें से 1,606 को न्यायिक हिरासत में और 125 को पुलिस हिरासत में जान गंवानी पड़ी। पूछताछ के दौरान पुलिस तथा अन्य जांच एजेंसियों के टार्चर से इस तरह के प्रकरण हो जाते हैं। कई बार मामूली से अपराध पर भी पुलिस अत्यंत सख्त व क्रूर रवैया अपनाती है।यद्यपि पूछताछ व जांच के परिष्कृत तरीके उपलब्ध हैं लेकिन फिर भी मारपीट कर सच उगलवाने में पुलिस यकीन रखती है।

ब्रिटिश शासनकाल से लेकर अब तक यही रवैया आम तौर पर चला आ रहा है। शनिवार की शाम को पकड़ा गया आरोपी सोमवार को कोर्ट ले जाने तक पुलिस हिरासत में रहता है। इस दौरान उस पर जमकर जुल्म ढाए जाते हैं। अमानुषिक पिटाई या यातना से कस्टोडियल डेथ के कितने ही मामले देश के विभिन्न राज्यों में हुआ करते हैं, जबकि पुलिस का कर्तव्य है कि आरोपी को सही-सलामत कोर्ट में पेश करे। ऐसे प्रकरणों को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति फली नरीमन, न्या. केएम जोसेफ और न्या. अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केंद्र सरकार, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि प्रत्येक थाने में प्रवेश व निकासी के स्थान, मुख्य प्रवेश द्वार, हवालात, सभी गलियारों, लॉबी, स्वागत कक्ष में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएं।

इसी तरह मानवाधिकारों के हनन पर अंकुश लगाने के लिए सीबीआई, ईडी और एनआईए, एनसीबी, डीआरआई व एसएफआईओ के कार्यालयों में भी सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया गया है। ऐसी सभी जगहों पर अनिवार्य रूप से सीसीटीवी लगाना होगा जहां आरोपियों को रखा जाता है या उनसे पूछताछ की जाती है। ऐसे भी मामले हुए हैं जहां अशक्त या बीमार आरोपी की पिटाई के दौरान मौत हो गई या उसने घबराकर हवालात में आत्महत्या कर ली। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि सीसीटीवी के चित्र व आवाज स्पष्ट रहने चाहिए तथा यह डेटा 1 वर्ष तक सुरक्षित रखना होगा। यदि किसी थाने में बिजली नहीं है तो सोलर एनर्जी या पवन ऊर्जा के जरिए इन सीसीटीवी को परिचालित करना होगा। सीसीटीवी प्रणाली में नाइट विजन तथा ऑडियो वीडियो सुविधा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मानव अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग के अलावा हर जिले में ह्यूमन राइट कोर्ट स्थापित करने को कहा जहां हिरासत में यातना दिए जाने की शिकायत की जा सकेगी।