तमिलनाडु के चुनाव में लोकलुभावन वादे

    Loading

    तमिलनाडु की राजनीति (Tamil Nadu Assembly Election) में दोनों प्रमुख पार्टियां डीएमके (DMK) और एआईएडीएमके (AIADMK) मतदाताओं को मुफ्त उपहार बांटने में पीछे नहीं रहतीं. चुनाव आयोग भीस इस सिलसिले को रोक नहीं पाया है.  इस बार भी विधानसभा चुनाव में साइकिल से लेकर गैस सिलेंडर तक मुफ्त देने के वादे किए जा रहे हैं. बाकायदा चुनाव घोषणापत्र में पार्टियां इस तरह का प्रलोभन देती हैं. मिक्सर ग्राइंडर (Mixers Grinders) टीवी, सेलफोन देने का वादा किया जाता है. युवाओं व महिलाओं को लुभाने की भरपूर कोशिश करने में दोनों ह दलों की एक दूसरे से होड़ लगी रहती है.

    सिर्फ भेंट वस्तुएं देने तक ही बात सीमित नहीं है बल्कि डीएमके ने स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत रोजगार आरक्षण देने, महिला सरकारी कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश देने, नीट मेडिकल प्रवेश परीक्षा बैन करने, खाद्य ईंधन, दूध व परिवहन में सब्सिडी देने का वादा किया है. इस समय सत्तारूढ़ एआईएडीएमके ने मुफ्त मकान, वाशिंग मशीन, केबल टीवी सेवा, गृहणियों को हर माह 1500 रुपए देने तथा सरकारी नौकरी देने  व चरणों में मद्यनिषेध लागू करने का वादा किया है. इस तरह के चुनावी वादों के बाद जो पार्टी सत्ता में आती है वह सरकारी खजाने पर बोझ डालती है. तमिलनाडु में 2015 से सरकारी खजाने पर 1.85 लाख करोड़ रुपए का भार था जो कि 2020 में बढ़कर 4.05 लाख करोड़ हो गया.

    शराब बंदी का चुनावी वादा निभाया गया तो फिर राजस्व का नुकसान होगा. हर चुनाव में मुफ्त भेंट देने का वादा एक प्रथा बन चुका है. जयललिता और करुणानिधि के समय से यह सिलसिला चला आ रहा है. 2016 के चुनाव में मुफ्त मोबाइल व सेटटाप बाक्स देने का वादा था जो अब बढ़कर वाशिंग मशीन और मुफ्त केबल टी वी सर्विस पर आ गया है. यह सब महिलाओं को लुभाने के लिए है. नीट परीक्षा पर प्रतिबंध तथा स्थानीय लोगोंको 75 फीसदी रोजगार के वादे संविधान और कानून की कसौटी पर कैसे टिक पाएंगे?