टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic 2020) में भारत की मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने 49 किलोग्राम महिला वर्ग के वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) में पहला सिल्वर मेडल (Mirabai Chanu Won The First Silver Medal) जीतकर इतिहास रच दिया है। उनका ओलंपिक तक पहुंचने का सफर चुनौतियों से भरा था। चानू ने अपने प्रशिक्षण के दिनों ने मदद करने वाले ट्रक डाइवर्स को सम्मानीत किया है।
मीराबाई ने इंटरव्यू में बताया था कि उनका गांव, नोंगपोक काकचिंग, मणिपुर की राजधानी इंफाल में स्थित खेल अकादमी से 25 KM से अधिक दूर था। भारतीय खिलाड़ी के पास रोजाना ये सफर तय करने के लिए पैसे नहीं होते थे। ऐसे में वो अक्सर नदी की रेत को इम्फाल तक ले जाने वाले ट्रक डाइवर्स से लिफ्ट मांगकर अकादमी पहुंचती थी।
मीराबाई ने सालों तक अकादमी पहुंचने के लिए इन ट्रक ड्राइवरों की मदद ली थी। ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर भारत लौटी चानू ने लगभग 150 ट्रक ड्राइवरों को अपने घर बुलाकर सम्मानित किया। उन्हें एक शर्ट, एक मणिपुरी दुपट्टा देने के साथ भरपेट खाना भी खिलाया। मीराबाई ड्राइवरों से मिलकर भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि अगर ट्रक वालों ने उसे ट्रेन तक पहुंचने में उनकी मदद ना की होती तो वेटलिफ्टर बनने का उसका सपना पूरा नहीं होता।
Olympiad @mirabai_chanu home was more than 25 km from the Sport Academy. No means of transport during those days, except trucks which carried river sands to the City. These truck drivers gave her lift everyday. Today she rewarded these truck drivers. pic.twitter.com/9WegUkwjkz
— Naorem Mohen (@laimacha) August 5, 2021
एक इंटरव्यू ने मीराबाई ने बताया था कि “मैंने यहां पहुंचने के लिए कई त्याग किए हैं। बड़ी खिलाड़ी बनने या कुछ बड़ा हासिल करने के लिए आपको बलिदान देना पड़ता है और मैंने कई त्याग किए हैं।” उन्होंने खुलासा किया कि “मैंने प्रतियोगिता से पहले दो दिनों तक कुछ नहीं खाया क्योंकि मुझे अपने वजन की चिंता थी। वजन बरकरार रखना बेहद मुश्किल था। इस श्रेणी के लिए वजन बनाए रखने के लिए हमें अपने खाने पर सख्ती से नियंत्रण करने की जरूरत है।”