बजरंग पूनिया: कभी बेटे के घी और दूध के लिए पिता ने किया था समझौता, आज इस पहलवान ने भारत का सीना गर्व से किया ऊंचा

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    नई दिल्ली: कुश्ती के दुनिया के बेहतरीन पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia Birthday) का आज यानी 26 फरवरी को जन्मदिन है। उनका जन्म आज ही के दिन हरियाणा (Haryana) में हुआ था। उनका पालन पोषण झज्जर जिले के खुदान गांव में हुआ था। वह एशिया और कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं। इस साल वह अपना 28 वां जन्मदिन मना रहे हैं। 

    बजरंग पूनिया देश के लिए 65 किग्रा कैटेगरी म3 लड़ते हैं। वह तीन बार विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले भारत के एकमात्र पहलवान हैं। पूनिया को कुश्ती विरासत में मिली है। उनके पिता बलवान पूनिया भी एक पहलवान हुआ करते थे। हालांकि, आर्थिक तंगी और खराब हालातों की वजह से उन्हें कभी खुद को साबित करने का मौका नहीं मिला। 

    परिवार की आर्थिक हालत तब भी खराब थी, जब बजरंग कुश्ती सिख रहे थे। लेकिन, उनके पिता अपने बेटे के अरमानों की बलि चढ़ने नहीं देना चाहते थे। बहुत से लोग ऐसा बताते हैं कि, बजरंग के पिता बस और ऑटो से सफर न करके साइकिल से सफर किया करते थे, ताकि ऐसा करके कुछ पैसे वह अपने बेटे के लिए बचा पाए। पूनिया के पिता केवल इसलिए पैसे बचाया करते थे ताकि वह बजरंग को अच्छी डाइट दे सकें, क्योंकि उस समय बजरंग पहलवानी सीख रहे थे। बजरंग को घी और दूध समय पर मिले इसके लिए परिवार ने कई सालों तक अपने हालातों से समझौता किया था।

    बजरंग पूनिया पर दुनिया की नजर तब पड़ी जब उन्होंने 2013 में 60 किग्रा भार वर्ग में विश्व चैंपियनशिप का कांस्य पदक अपने नाम किया था। महज 19 साल की उम्र में किए इस कमाल से ओलंपियन योगेश्वर दत्त बेहद प्रभावित हुए थे। जिसके बाद उन्होंने बजरंग को अपनी निगरानी में ट्रेन करना शुरू किया। 

    बजरंग पूनिया से जुड़ी कुछ बातें 

    • बजरंग पूनिया रेसलिंग रैंकिंग में वर्ल्ड नंबर 1 बनने वाले पहले भारतीय पहलवान हैं।  
    • वह भारतीय रेलवे में बतौर यात्रा टिकट परीक्षक (टीटीई) कार्यरत हैं। 
    • पूनिया प्रतिष्ठित जर्मन लीग में प्रतिस्पर्धा करने वाले पहले भारतीय पहलवान थे। 
    • बजरंग पूनिया ने साल 2018 राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया था। 
    • न्यूयॉर्क में प्रतिष्ठित मैडिसन स्क्वॉयर गार्डन एरिना में कुश्ती करने वाले बजरंग पहले भारतीय पहलवान थे। 
    • साल 2015 में अर्जुन पुरस्कार और 2019 में पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से वह सम्मानित हैं।