yogeshwar dutt
योगेश्वर दत्त (PIC Credit: Social media)

Loading

नई दिल्ली: भारत के अनुभवी पहलवान योगेश्वर दत्त (Yogeshwar Dutt) ने भारतीय ओलंपिक समिति (IOA) द्वारा कुश्ती (Wrestling) के लिये गठित तदर्थ पैनल की पेरिस ओलंपिक (Paris Olympic 2024) के लिए नयी चयन नीति (New Selection Policy) की प्रशंसा या आलोचना करने से बचते हुए कहा कि इसके अपने फायदे और नुकसान है। 

नयी नीति के मुताबिक पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympic 2024) के लिए भारतीय कुश्ती दल को दो चरण वाली चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसमें कोटा स्थान अर्जित करने वाले पहलवान को जून में चैलेंजर से भिड़ना होगा। इस मुकाबले के विजेता को चार साल में होने वाले खेल आयोजन में देश के प्रतिनिधित्व का मौका मिलेगा।

योगेश्वर ने कहा कि चयन नीति तय करना देश में खेल चलाने वाले अधिकारियों का विशेषाधिकार है। योगेश्वर ने 10 से 17 दिसंबर तक यहां होने वाले खेलो इंडिया पैरा खेलों के शुभंकर और प्रतीक चिन्ह के लॉन्च के मौके पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पहले ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले पहलवान को ही देश के प्रतिनिधित्व का मौका मिलता था लेकिन नयी चयन नीति के अनुसार ओलंपिक कोटा हासिल करने वाली अंतिम (पंघाल) का भी पेरिस जाना भी सुनिश्चित नहीं है। उसे इसके लिए ट्रायल से गुजरना होगा।”

उन्होंने कहा, ‘‘अब तक कोई ट्रायल नहीं हुआ है। मैं अपने समय की बात कर रहा हूं। जो कोटा जीतता था वह देश का प्रतिनिधित्व करता था। अधिकारियों ने यह नियम बनाया है और हमें इसका सम्मान करना होगा।” उन्होंने कहा, ‘‘यह महासंघ का विशेषाधिकार है कि वह नियम बनाये और नियमों में संशोधन करें। विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता अंतिम पंघाल (महिला 53 किग्रा वर्ग में) ने ही अब तक देश के लिए ओलंपिक कोटा स्थान अर्जित किया है लेकिन ओलंपिक में उनकी भागीदारी का पता एक जून को ही चलेगा। अंतिम को एक जून को ट्रायल स्पर्धा की विजेता (चैलेंजर) से भिड़ना होगा। 

अंतिम को ओलंपिक टिकट पाने के लिए अपनी प्रतिद्वंद्वी विनेश फोगाट से भिड़ना पड़ सकता है। चैलेंजर के  ट्रायल में अगर अनुभवी विनेश 53 किग्रा भार वर्ग में विजेता बनती है तो उनके पास भी ओलंपिक में जाने का मौका होगा। आईओए द्वारा गठित तदर्थ समिति ने शनिवार को एक बयान में कहा था कि सभी चैलेंजर का चयन 31 मई को किया जाएगा। चैलेंजर और ओलंपिक कोटा विजेता के बीच मुकाबला एक जून को होगा।

योगेश्वर ने कहा कि नसी चयन नीति अच्छी या बुरी हो सकती है, यह इस पर निर्भर करता है कि कोई इसे कैसे लेता है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस नीति के दो पहलू हैं। पहला, जिसने भी कोटा अर्जित किया है वह स्वतंत्र मन से (ओलंपिक के लिए) तैयारी कर सकता है। लेकिन, इसका एक सकारात्मक और एक नकारात्मक पहलू है।” उन्होंने कहा, ‘‘पहलवानों को अगर पता होगा कि उन्हें ट्रायल से गुजरना होगा तो इसके बारे में सोचेंगे और तैयारी पर ध्यान देंगे।”

लंदन ओलंपिक (2012) के इस कांस्य पदक विजेता ने कहा, ‘‘ अब प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी है। सुशील (कुमार) ने तीन ओलंपिक खेले, मैंने चार ओलंपिक में भाग लिया क्योंकि हमारी श्रेणियों में कोई प्रतिस्पर्धी नहीं थी। अब हालांकि हर वर्ग में कई पहलवान आ रहे हैं, उन्हें भी मौका मिलना चाहिये।” भारत के पास एशियाई और विश्व क्वालीफायर के जरिये 17 और ओलंपिक कोटा हासिल करने का मौका होगा। इसमें किर्गिस्तान में 19 से 21 अप्रैल तक एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर और तुर्किये में नौ से 12 मई तक विश्व ओलंपिक क्वालीफायर का आयोजन शामिल है। 

भारत पुरुषों की फ्री-स्टाइल और ग्रीको रोमन स्पर्धा में छह-छह जबकि महिला वर्ग में पांच और कोटा हासिल कर सकता है। इन दोनों स्पर्धाओं में कोटा हासिल करने वाले पहलवानों को चैलेंजर से भिड़ना होगा। विश्व चैम्पियनशिप (2021) की कांस्य पदक विजेता सरिता मोर ने इस मामले पर बोलने से परहेज किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगी क्योंकि मुझे नहीं पता कि नयी चयन नीति क्या है। मैं इसकी जानकारी होने के बाद ही कुछ बोलूंगी।” (एजेंसी)