sakshi
Pic: Social Media

Loading

नई दिल्ली: मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में हाल में एक किशोरी की खौफनाक तरीके से की गई हत्या में आरोपी द्वारा चाकू से कई बार वार किए जाने से संकेत मिलता है कि इस अपराध में एक मजबूत भावनात्मक घटक शामिल है, जैसे अस्वीकृति को बर्दाश्त नहीं कर पाना और मन में दबा हुआ गुस्सा। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, यह आत्मसम्मान की बेहद कमजोर भावना के साथ पीड़ित को गहन पीड़ा देने के लिए हमलावर को कठोर इरादे की ओर ले जाता है।

शाहबाद डेरी क्षेत्र में साक्षी (16) को 20 से अधिक बार चाकू मारा गया और फिर सीमेंट के स्लैब से वार किया गया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। शव पर चोट के 34 निशान थे और खोपड़ी टूटी हुई थी।आरोपी साहिल ने कथित तौर पर घटना से दो दिन पहले साक्षी को मारने की साजिश रची थी। बताया जा रहा है कि साक्षी ने साहिल को अपने दोस्तों के सामने फटकार लगाई थी और उसके साथ अपने रिश्ते को सुधारने से इनकार कर दिया था।

दिल्ली के फॉरेंसिक मनोवैज्ञानिक मोहित बुट्टा ने कहा कि पीड़िता को चाकू घोंपने और स्लैब से कुचलने का कृत्य ‘‘हमलावर के विनाशकारी इरादों को दर्शाता है कि वह उसके अस्तित्व को ही मिटा देना चाहता था।”क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट वंदना वी प्रकाश ने कहा, ‘‘हमले की वीभत्सता हमलावर की हीन भावना और आत्मसम्मान की कमी को दर्शाती है। यह साजिशकर्ता के गुस्से, नफरत और आक्रोश के शांत होने तक पीड़ित पर वार करने की उसकी सनक को दर्शाती है।”

बुट्टा ने कहा, ‘‘एक बार से अधिक चाकू घोंपने का मतलब आमतौर पर भीषण प्रतिशोध होता है। तामसिक विचार हताशा से पैदा होता है।” वर्तमान में राजस्थान में पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) परियोजना में शामिल फॉरेंसिक मनोवैज्ञानिक इंद्रनील भोवाल ने कहा कि गुस्से ने संकेत दिया कि पीड़िता और अपराधी के बीच निजी संबंध थे। पुलिस अधिकारियों ने पूर्व में कहा था कि साहिल ने 28 मई की दोपहर को शराब पी थी और शाम को उसका साक्षी से सामना हुआ, जो अपनी सहेली के बच्चे की जन्मदिन पार्टी में जा रही थी। साक्षी को मारने के बाद साहिल पास के एक पार्क में गया और वहां कुछ देर बैठा रहा।

भोवाल ने कहा कि कई शोधकर्ताओं ने पाया है कि किसी हत्या के मामले में कई बार चाकू घोंपा जाना इंगित करता है कि अपराध में व्यक्तिगत संबंध का तत्व शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘कई बार चाकू घोंपने से यह भी पता चलता है कि क्रोध कुछ समय से जमा हो रहा था।” भोवाल ने कहा, ‘‘हत्या से कुछ समय पहले उनके रिश्ते में कुछ ऐसा हुआ था, जिसने इसे बढ़ावा देने का काम किया और आरोपी को अपराध करने के लिए उकसाया।”

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, नयी दिल्ली में सलाहकार क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट अर्चना शर्मा के अनुसार, रिश्ते से संबंधित हत्याओं में बार-बार चाकू घोंपने की घटनाएं अधिक होती हैं।  शर्मा ने कहा, ‘‘पीड़ित और हमलावर के बीच ईर्ष्या या अशांत भावनात्मक संबंध कारक हो सकते हैं।” यह पूछे जाने पर कि साहिल में इस हताशा, घृणा और ईर्ष्या का क्या कारण हो सकता है, प्रकाश ने कहा कि संभावना है कि साक्षी की अस्वीकृति से उसके अहम को ठेस पहुंची हो। 

प्रकाश ने कहा, ‘‘हमलावर के उसे कई बार चाकू घोंपने का मतलब यह हो सकता है कि उसमें हीन भावना थी और आत्मसम्मान बचा नहीं रह गया था, जिसके कारण अस्वीकृति को वह सह नहीं पाया।” पुलिस अधिकारियों का दावा है कि साक्षी और साहिल जून 2021 से एक-दूसरे के करीब थे। लेकिन, पिछले तीन-चार महीने से साक्षी आरोपी से दूर रहने लगी थी। साहिल कुछ समय से साक्षी पर हमला करने की सोच रहा था, क्योंकि वह अपने पूर्व साथी प्रवीण से नजदीरियां बढ़ाने लगी थी। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि साहिल के प्यार में पड़ने से पहले वह तीन से चार साल तक प्रवीण के साथ रिश्ते में थी।

पुलिस के मुताबिक, साहिल ने दावा किया कि साक्षी इसलिए प्रवीण के पास वापस जाने की इच्छुक थी, क्योंकि उसके पास मोटरसाइकिल थी। उसने कहा कि साक्षी ने 27 मई को उसे खुद से दूर रहने की चेतावनी दी थी और उस वक्त वह अपनी दोस्त भावना और उसके दोस्त झबरू के साथ थी।  पुलिस अधिकारियों ने बताया कि झबरू ने भी साक्षी के पास आने पर साहिल को पीटने की धमकी दी थी। आठ दिन पहले साक्षी का साहिल से संबंध टूट गया था।

बुट्टा ने कहा, ‘‘हालात बदलने पर आरोपी प्रतिशोध की भावना में अस्वीकृति को सह पाने में असमर्थ महसूस करता है। वह पीड़ित को अपने और अस्वीकृति को स्वीकार करने के अपने लक्ष्य के बीच बाधा के रूप में देखता है। अस्वीकृति को स्वीकार करने में सक्षम नहीं होने पर, हमलावर इससे निपटने और अपने अहम को बचाने के लिए कठोर कदमों का सहारा लेता है।”

यह पूछे जाने पर कि किस वजह से साहिल ने लड़की को मारने के लिए चाकू का इस्तेमाल किया, प्रकाश ने कहा, ‘‘चाकू आसानी से उपलब्ध होता है। इसके वार से गहरा जख्म होने या जान जाने की संभावना बढ़ जाती है। निश्चित रूप से आरोपी पीड़िता के बचने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता था।”