Union Home Ministry will prepare SOP for journalists

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नई दिल्ली: अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर प्रयागराज में हुए हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर या SOP तैयार करने का निर्णय किया है। इसमें यह बताया जाएगा कि किसी अपराधी या आरोपी से बातचीत करने के दौरान पत्रकारों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाने जरूरी होंगे। अगर मीडिया किसी व्यक्ति के पीछे आता है तो उसके लिए क्या नियम होंगे। यह कहा जा रहा है कि इसके निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी किए गए हैं।

सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय अपनी ओर से स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर का एक खाका तैयार करेगा। जिसे सभी राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। जिससे विभिन्न राज्य उसके हिसाब से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए नियम को लागू करने पर निर्णय कर पाए। इससे पहले वर्ष 2017 में भी केंद्र सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ऐसे ही निर्देश जारी किए थे। हालांकि उसके बाद से इस  पर कोई भी कदम अधिकारिक रूप से सामने नहीं आए हैं।

प्रयागराज में माफिया डॉन से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर ताबड़तोड़ गोलियों से हमला कर उनकी हत्या कर दी गई। दोनों भाइयों पर हमला करने वाले पत्रकारों के रूप में आए थे। उनके हाथ में टीवी चैनल का माइक व  कैमरा था। इसके अलावा उनके गले में आई कार्ड भी था। पत्रकार के रूप में दोनों भाइयों के नजदीक पहुंचने के बाद हमलावरों में से एक ने अतीक अहमद की कनपटी पर पिस्टल सटाते हुए गोली चला दी। जिससे उसकी वहीं पर मृत्यु हो गई। इससे पहले कि अतीक अहमद का भाई अशरफ  कुछ भी समझ पाता। उस पर भी ताबड़तोड़ गोली दाग कर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने तीनों हमलावरों को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया। इन हमलावरों ने भी भागने का प्रयास नहीं किया। वह अपने हाथ ऊपर कर समर्पण की मुद्रा में आ गए। इस दौरान वह जय श्रीराम जय श्रीराम के नारे भी लगा रहे थे।

इंडो PBD मीडिया ट्रस्ट के एक पदाधिकारी ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर नियम बनाने की जरूरत है। इसके अलावा सरकार को पत्रकारों का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने की भी जरूरत है। इसके अलावा ऐसे स्थान जहां पर पत्रकारों की जान को खतरा हो सकता है। वहां पर रिपोर्टिंग के दौरान उनके लिए बीमा की भी योजना होनी चाहिए। सरकार को यह भी तय करना चाहिए कि दुर्दांत आतंकवादियों, बदमाशों, माफिया डॉन से संबंधित रिपोर्टिंग के दौरान सुरक्षा के क्या नियम होने चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय की SOP इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकती है। लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि यह केवल कागज तक सीमित न हो। यह एक निश्चित समय में बनकर तैयार हो और उस पर अमल भी शुरू किया जाए।