jail
प्रतीकात्मक तस्वीर

    Loading

    अहमदाबाद: गुजरात की अदालतों ने इस साल अगस्त तक 50 लोगों को मृत्युदंड की सजा सुनाई है, जबकि 2006 से 2021 के बीच में केवल 46 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। राज्य की अदालतों के उपलब्ध आंकड़ों में जानकारी दी गई है। आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2022 में एक विशेष अदालत ने 2008 अहमदाबाद सिलसिलेवार धमाकों के मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। इन धमाकों में 56 लोग मारे गए थे और 200 अन्य लोग घायल हो गए थे।

    इसके अलावा, विभिन्न शहरों की निचली अदालतों ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज नाबालिगों के बलात्कार और हत्या के मामलों के दोषियों को भी मौत की सजा सुनाई। गुजरात में 2011 में विभिन्न मामलों में 13 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि इसके अलावा 2006 से 2021 के बीच कभी एक साल में चार से अधिक लोगों को मृत्युदंड की सजा नहीं दी गई। वहीं, 2010, 2014, 2015 और 2017 में निचली अदालतों ने किसी भी मामले में मौत की सजा नहीं सुनाई।

    वर्ष 2011 में जिन 13 लोगों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी, उनमें से 11 लोग 2002 गोधरा कांड के दोषी थे जिसमें 59 लोग मारे गए थे। वर्ष 2021 तक 16 साल के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय ने केवल चार लोगों की मौत की सजा बरकरार रखी। इनमें से तीन लोग 2002 अक्षरधाम मंदिर हमले के दोषी थे, जिन्हें बाद में उच्चतम न्यायालय ने बरी कर दिया था।

    राज्य में मृत्युदंड की सजा देने के मामलों में बढ़ोतरी के सवाल पर उच्च न्यायालय के वकील आनंद याग्निक ने कहा, ‘‘ 2008 अहमदाबाद धमाके मामले के दोषियों को ना गिने तो यह संख्या 12 हो जाएगी। यह भी घिनौने अपराधों से जुड़े मामले हैं। कई मामले नाबालिग के बलात्कार व हत्या से जुड़े हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘ समाज के समक्ष एक उदाहरण पेश करने के लिए ऐसे दोषियों को मौत की सजा दिए जाना आवश्यक है।” याग्निक ने कहा कि अधिकतर मामलों में सजा कायम नहीं रखी गई और उसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। (एजेंसी)