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    अहमदाबाद. गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) के आक्रामक प्रवेश से राज्य में क्या विधानसभा चुनाव के समीकरण बदलेंगे? हाल के हफ्तों में अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली पार्टी के जोर शोर से चुनाव में उतरने के मद्देनजर यह सवाल राजनीतिक चर्चा में छाया है। आप की मौजूदगी ने अगले महीने के चुनावों को ऐसे राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है जहां राजनीति मुख्य रूप से द्विध्रुवीय बनी हुई है। गुजरात की सभी 182 सीट पर चुनाव लड़ रही आप दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है। यहां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य में आम आदमी पार्टी की मजबूती, कमजोरी, अवसर, खतरे का विश्लेषण है।

    मजबूती: – निम्न मध्य वर्ग के मतदाताओं जिन्हें पार्टी लुभाती है, से उसकी अपील कि यह एक अलग पार्टी है। – पार्टी मतदाताओं तक कई ‘‘कल्याणकारी गारंटी” के माध्यम से पहुंचती है, जिसमें प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, बेरोजगारों को 3,000 रुपये प्रति माह, और 18 साल से ऊपर की महिलाओं को 1,000 रुपये प्रति माह दिया जाना शामिल हैं। – मतदाताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाने के वादे आप को एक आकर्षक विकल्प बना सकते हैं।

    कमजोरियां: – आप के पास वृहद अपील वाले स्थानीय नेताओं का अभाव है, और इसका जमीनी स्तर का संगठन प्रतिद्वंद्वी दलों के मुकाबले में कहीं नहीं ठहरता। – पार्टी के पास गुजरात की राजनीति में पर्याप्त अनुभव नहीं है। – आप का कोई वोट बैंक नहीं है और 2021 में जीती गई स्थानीय निकाय सीट विधानसभा चुनाव में उसके प्रदर्शन का संकेतक नहीं हो सकती हैं।

    अवसर: – आप के पास गुजरात में अपनी बात रखने और एक नया राजनीतिक विमर्श बनाने का मौका है। – भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के दबदबे वाले राज्य में कुछ सीट जीतने से भी आप को पैर जमाने में मदद मिलेगी और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी का कद बढ़ेगा।

    खतरे: – ‘मोदी फैक्टर’ भाजपा को फिर दे सकता है बढ़त। – हिंदुत्व राजनीति में भाजपा की मजबूत पैठ।