नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता से अयोग्यता का असर शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा के अंदर दिखाई दिया। कुछ सदस्यों द्वारा राहुल की तस्वीर पर जूते फेंके गए। इस घटना पर नेता प्रतिपक्ष अजित पवार समेत अन्य नेताओं ने शिंदे सरकार पर निशाना साधा।
अजित पवार ने कहा कि, “सत्र के दौरान विधान भवन की सीढ़ियों पर कई बार आंदोलन हुए, लेकिन राहुल गांधी की तस्वीर को जूते से मारना कैसा आंदोलन था? हर पार्टी के अपने राष्ट्रीय और सम्मानित नेता होते हैं, कोई भी उनका अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।”
Maharashtra | During the session, there were many agitations on the steps of Vidhan Bhavan, but what kind of agitation was it to hit Rahul Gandhi's pictures with shoes? Every party has its own national and respectable leaders, no one will tolerate their insult: Ajit Pawar, LoP pic.twitter.com/iJm3EOO2Qt
— ANI (@ANI) March 25, 2023
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सदस्यों ने गुरुवार को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ टिप्पणी के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर की सीढ़ियों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पोस्टर को जूतों से मारा था।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने एकनाथ शिंदे सरकार को किसान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा, “यह सरकार किसान विरोधी सरकार है। यह सिर्फ अमीरों की सरकार है। नागपुर में G20 के लिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए, यह पैसा कहां से आया? इस सरकार ने पिछले 6 महीनों में बहुत कुछ लूटा है।”
पटोले ने कहा, “उनके (शिंदे) मंत्रिमंडल में एक भी महिला मंत्री नहीं हैं। इस सरकार के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार आए दिन कोई न कोई बयान देते रहते हैं। इन किसानों की मौत हो जाती है और मंत्री का कहना है कि किसानों की आत्महत्या का मामला कोई नया नहीं है। हम इस बयान का पुरजोर विरोध करते हैं।”
वहीं, शिवसेना नेता (उद्धव ठाकरे गुट) आदित्य ठाकरे ने भी राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को जनता से माफी मांगने की मांग की।
ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र की जनता से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने महाराष्ट्र को बहुत पीछे ले लिया है। सदन में इस बार सरकार ने कई मुद्दों पर ठीक से जवाब नहीं दिया।” उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा किसानों से जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं किया गया। सदन में मंत्रियों की गैरमौजूदगी एक बड़ा मुद्दा था जिसकी वजह से कई बार सदन की कार्यवाही रोकनी पड़ी।”