मनपा को देना होगा 75 लाख रुपए, सरकार ने पानी के आरक्षण पर लगी रोक हटाई

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    अकोला. सरकार ने वान परियोजना में पानी के आरक्षण पर लगी रोक हटा ली है और 24 दशलक्ष घनमीटर पानी का आरक्षण भले ही तय कर दिया गया है, लेकिन इसके लिए मनपा को लाखों रुपये पानी का बिल देना होगा. जल परियोजनाओं से सिंचाई के साथ-साथ जलापूर्ति योजनाओं के लिए पानी उठाते समय पानी के बिल भरने पड़ते हैं. नहरों से सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति की जाती है. इसलिए इसके रेट फिक्स हैं.

    हालांकि, अगर जलापूर्ति योजनाओं को पानी उपलब्ध कराते समय सीधे परियोजना से पानी लिया जाता है, तो दर अलग होती है और यदि नदी के तल में पानी छोड़ा जाता है और बांध से पानी उठाया जाता है तो अलग से शुल्क लिया जाता है. यदि नदी के तल में पानी छोड़ कर जलापूर्ति योजना के लिए पानी लिया जाता है तो पानी के बिल का भुगतान बढ़ी हुई दर से करना होगा. क्योंकि योजना के लिए पानी छोड़ते समय पानी की काफी बर्बादी होती है.

    वान परियोजना में अकोला जलापूर्ति योजना के लिए 24 दशलक्ष घनमीटर पानी आरक्षित किया गया था. लेकिन किसानों के कड़े विरोध के बाद सरकार ने इस आरक्षण को स्थगित कर दिया. स्थगन अभी तक नहीं हटाया गया है. हालांकि मनपा ने स्थगिति हटाए बिना अमृत योजना के दूसरे चरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली है. सरकार ने इस आरक्षण पर लगी रोक हटा ली है और यदि पानी मनपा के लिए आरक्षित है तो मनपा को पानी के बिल में 75 लाख से अधिक का भुगतान करना होगा.

    यदि मनपा के लिए 24 दशलक्ष घनमीटर पानी आरक्षित है, तो वान परियोजना से सिंचाई के लिए केवल 16.46 दशलक्ष घनमीटर पानी ही बचेगा. एक दशलक्ष घनमीटर में से लगभग 150 हेक्टेयर भूमि सिंचित है. इसलिए यदि 24 दशलक्ष घनमीटर पानी गैर-सिंचाई के लिए आरक्षित किया जाता है, तो संभावना है कि लगभग 4 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचाई से वंचित हो जाएगी.

    वान परियोजना से पानी उठाने पर चार्ज

    योजना के लिए पानी वान परियोजना से उठाया जाएगा. एक दशलक्ष घनमीटर के लिए 3 लाख रुपये का पानी चार्ज किया जाता है. मनपा 24 दशलक्ष घनमीटर पानी आरक्षित रखता है तो उसे 72 लाख रुपये पानी का बिल और पहले दो महीने का पानी का बिल एडवांस में देना होता है. इसलिए मनपा को जल कर में 75 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करना होगा.