नगर परिषद का नामफलक मराठी के साथ उर्दू में डालने का प्रस्ताव जिलाधिकारी की ओर से नामंजूर

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  • पार्षद वर्षा बगाडे ने की थी प्रस्ताव रद्द करने की मांग

पातुर. नगर परिषद इमारत की मुख्य प्रवेश द्वार पर नामफलक मराठी के साथ उर्दू भाषा में लगाने के प्रस्ताव को पार्षद वर्षा बगाडे ने विरोध किया था. मराठी राजभाषा के सरकार निर्णय की अमल कर संपूर्ण कामकाज मराठी भाषा में करने की मांग की थी. लेकिन सत्ताधारी अपनी जीद पर अड़े रहने से बगाडे ने जिलाधिकारी की ओर मांग की. और अब जिलाधिकारी ने वह प्रस्ताव नामंजूर किया है.

इस विषय पर नगर परिषद के सत्ताधारी काँग्रेस व विरोधी पार्टी राष्ट्रवादी काँग्रेस एक हो गए थे. 11 सदस्यों ने बहुमत से प्रस्ताव मंजूर करकवाकर कायम किया. जिससे उक्त प्रस्ताव गैरकानूनी होकर मराठी राजभाषा के सरकार निर्णय के विरुद्ध होने से वह रद्द करें. शहर में सभी जाति-धर्म के लोग रहने से मराठी के साथ उर्दू भाषा में फलक लगाने पर अन्य भाषिकों की ओर से भी मांग हो सकती है. जिससे कानून-सुव्यवस्था का प्रश्न निर्माण हो सकता है.

ऐसा प्रकरण पार्षद वर्षा बगाडे ने महाराष्ट्र नगर परिषद नगर पंचायत और औद्योगिक वसाहत अधिनियम 1965 की धारा 308 के अनुसार दाखिल किया था. अकोला जिलाधिकारी ने 21 दिसंबर को आदेश दिया. सरकार परिपत्र के अनुसार नगर परिषद की इमारत पर मराठी भाषा के साथ उर्दू में कार्यालय नाम का फलक लगाने का प्रस्ताव नामंजूर किया है. महाराष्ट्र राज्य मराठी भाषिक राज्य होने से सरकार व्यवहार में राज्य भाषा मराठी का उपयोग होना आवश्यक है.

7 मई 2018 और 31 जनवरी 2020 के तहत निकाले गए सरकारी परिपत्र और 7 मई 2018 के सर्वसाधारण सूचना क्रमांक 6 के अनुसार सरकारी कार्यालय में लगाए गए फलक मराठी भाषा में ही होना तथा सरकारी कामकाज में पत्र व्यवहार, रेलवे स्टेशन, गांवों के नाम का उल्लेख मराठी भाषा में देवनागरी लिपी में लिखने के सूचना है. परिपत्र को नजर अंदाज कर नगर परिषद का मराठी के साथ उर्दू भाषा में फलक लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी नही दे सकते. यह आदेश में नमूद किया है. 

किसी भी भाषा के संदर्भ में आकस नही- पार्षद वर्षा बगाडे  

उर्दू अथवा अन्य भाषा के संदर्भ में आकस न होकर आदर है. लेकिन शहर में विविध जाति धर्म के नागरिक रहते है. जिससे इमारत पर मराठी के साथ उर्दू भाषा में नामफलक लगाने का प्रस्ताव पारित करने से कानून-सुव्यवस्था भंग न हो इस उद्देश्य से प्रस्ताव रद्द करने की मांग जिलाधिकारी की ओर की थी.