1000 cases of malnutrition among children in Thane, Maharashtra
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    • अकोला जिला कुपोषण मुक्ति की ओर

    अकोला. जिला परिषद का महिला एवं बाल कल्याण विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग कुपोषण दूर करने के लिए समन्वय कर कार्य कर रहे हैं. सितंबर की एक रिपोर्ट के अनुसार, अकोला जिले में ‘सैम’ और ‘मैम’ श्रेणियों में कुपोषित बच्चों की संख्या घट रही है. वर्तमान में जिले में अति गंभीर रूप से कुपोषित (सैम) 239 बच्चे ही हैं तथा गंभीर रूप से कुपोषित (मैम) बच्चों का अनुपात 1002 पाया गया है.

    अकोला जिले में पिछले पांच वर्षों में सन 2016 से सन 2020 तक 866 अति गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे पाए गए. इस बीच हर जगह कोरोना फैलने के कारण पिछले साल अप्रैल से सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं. लेकिन महिला एवं बाल कल्याण विभाग के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से जिले के सभी तहसीलों में कुपोषित बच्चों को सबसे आगे लाने का प्रयास किया गया है. इसके लिए आंगनबाड़ियां बंद होने के बावजूद कुपोषित बच्चों को घर-घर जाकर पोषाहार दिया गया है.

    इन कुपोषित बच्चों की माताओं को सरल भाषा में घर पर ही पौष्टिक भोजन बनाने की तकनीक भी सिखाई गई है. इसलिए दोनों विभाग अति गंभीर श्रेणी (सैम) के ज्यादातर बच्चों को गंभीर श्रेणि (मैम) में और गंभीर श्रेणि के कई बच्चों को सामान्य श्रेणि में लाने में सफल रहे हैं.

    महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा कुपोषण की सितंबर की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है. वर्तमान में जिले में अति गंभीर रूप से कुपोषित (सैम) 239 बच्चे तथा गंभीर रूप से कुपोषित (मैम) 1002 बच्चें पाए गए हैं. इस तरह दोनों विभागों ने 82,204 बच्चों को सामान्य वर्ग में लाने में सफलता हासिल की है.

    गर्भवती महिलाओं को आहार शुरु करना जरूरी

    सरकार व स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर पौष्टिक आहार देकर बच्चों को ‘सैम’ और ‘मैम’ श्रेणी में से शीर्ष श्रेणी में लाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन माता-पिता इस बात की अनदेखी करते नजर आ रहे हैं कि बच्चे कुपोषित पैदा न हों. ‘मैम’ और ‘सैम’ शून्य से पांच वर्ष की आयु के बच्चों में मृत्यु के जोखिम को 10 गुना बढ़ा देते हैं. इसलिए यदि आप बाल मृत्यु दर को रोकना चाहते हैं, तो आपको गर्भवती महिलाओं के आहार से शुरुआत करनी चाहिए. यदि मां को पौष्टिक आहार मिले तो भ्रूण कुपोषित नहीं होगा.

    जब तक लड़की 18 साल की न हो जाए तब तक शादी पर विचार न करें-मरसाले

    जि.प. महिला व बाल कल्याण विभाग के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी विलास मरसाले ने बताया कि सातवें महीने से मां का दूध उस बच्चे की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है. इसलिए बच्चे को मां के दूध के साथ पौष्टिक, विविध आहार देना जरूरी है. बच्चे को समय पर, पर्याप्त, लगातार और उचित पूरक आहार मिलना चाहिए. एक गर्भवती महिला के आराम का ध्यान उसके परिवार को रखना चाहिए.

    उसे भरपूर मात्रा में पौष्टिक आहार जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, अंडे, दूध और फल मिलना चाहिए. आयोडीनयुक्त नमक से बना खाना उसके लिए पौष्टिक होता है. उसे आयरन फोलिक एसिड की गोलियां भी देनी चाहिए. 18 साल से कम उम्र की लड़की मां बनने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार नहीं है. ऐसे मामलों में, उसका बच्चा कुपोषित हो सकता है. इसलिए आपको अपनी बेटी की शादी तब तक नहीं करनी चाहिए जब तक कि वह कम से कम 18 साल की न हो जाए.

    जिले में कुपोषण की स्थिति

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    प्रकल्प                  सैम श्रेणि के बच्चे        मैम श्रेणि के बच्चे      सामान्य बच्चे 
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    अकोला ग्रामीण 1         31                 103               9,308

    अकोला ग्रामीण 2         39                 144             10,646 

    तेल्हारा                      12                   58             10,159

    पातुर                         41                   70               8,643

    बार्शीटाकली                20                  154             10,915 

    मुर्तिजापुर                    11                   37               8,342

    बालापुर                     18                   101             12,263

    अकोट                       67                   335             11,124

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    कुल                       239                1,002              82,204
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