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– कोरोना के चलते सूना बाजार, गायब बहार

– 30 साल बाद अक्षय तृतीया पर महासंयोग

– बुध ग्रह का मेष में प्रवेश, दे रहा शुभता का संदेश

मुंबई. सनातन संस्कृति में अक्षय फल देने वाली, अक्षय तृतीया रविवार को सिर्फ घरों में ही मनायी जाएगी. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन से जहां लोग घरों में बंद हैं, वहीं बाजारों में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. इसलिए कारोबारियों में मायूसी है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर ही भगवान विष्णु के 6वें अवतार भगवान परशुराम का अवतरण हुआ था. कोरोना प्रकोप के चलते लागू लॉकडाउन से इस वर्ष मुंबई के बाजारों में बिजनेस लॉक हो गया है. अक्षय मुहूर्त के चलते इस दिन काफी संख्या में शादियों का आयोजन होता था, आभूषण, नया घर, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वाहन, वस्त्रादि खरीदने की परंपरा भी रहती थी, लेकिन कोरोना इफेक्ट के चलते इस वर्ष पूरी तरह बाजार बंद होने से वहां सूनापन है. हर साल की तरह रहने वाली चहल पहल गायब है.

अक्षय तृतीया पर अनूठा महासंयोग 

इस वर्ष अक्षय तृतीया पर अनूठा महासंयोग बन रहा है. जिसके चलते 5 शुभ महासंयोग का निर्माण हो रहा है. 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर अक्षय तृतीया प्रारंभ हुई है जो 26 अप्रैल को दोपहर बाद 1 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. अक्षय तृतीया पर इस साल कई राजयोग भी बन रहे हैं. अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र के साथ ‘अबूझ’ मुहूर्त पड़ रहा है जो बेहद शुभ माना जा रहा है.

सर्वार्थसिद्धि योग में तृतीया का प्रारंभ

अक्षय तृतीया तिथि 25 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इसी दिन रात 8 बजकर 58 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग भी आरंभ हो रहा है. जो रविवार की सूर्योदय तक रहेगा. अक्षय तृतीया का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि नामक बेहद शुभ संयोग में हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इस शुभ योग को बहुत ही मंगलदायी माना गया है.

रवियोग में अक्षय तृतीया

रविवार को अक्षय तृतीया होने से इस दिन रवियोग का भी निर्माण हो रहा है. इस योग की शुरुआत शनिवार की शाम से हुआ है जो रविवार को रात 10 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. ज्योतिषशास्त्र में मान्यता है कि यह सभी योगों के अशुभ प्रभाव को दूर कर देता है क्योंकि इस पर सूर्यदेव का प्रभाव होता है.

अमृत सिद्धि योग में अक्षय तृतीया

इस वर्ष अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत सिद्धि योग भी बना है. दोनों एक साथ ही शुरू हो रहे हैं और एक साथ ही समाप्त भी होंगे. इस योग में गंगा जल से स्नान करना अमृत स्नान के समान फलदायी माना गया है.

5 ग्रहों का अनोखा संयोग

इस वर्ष अक्षय तृतीया पर 5 ग्रहों का अद्भुत संयोग भी बना हुआ है. चंद्रमा अपनी राशि कर्क में रहेंगे इनके साथ शुभ ग्रह शुक्र भी मौजूद हैं. दूसरी ओर सूर्य के साथ आकर बुध भी मिले हैं जो शुभ बुधादित्य योग बना रहे हैं. इन योगों के साथ 30 साल बाद शनि फिर अक्षय तृतीया पर अपनी राशि मकर में मौजूद हैं. इसके साथ ही मंगल भी इस अवसर पर उच्च के हैं. यह सभी संयोग इस बार अक्षय तृतीया को पुण्यदायी और शुभ बना रहे हैं.

अक्षय तृतीया पर पूजा एवं क्रय मुहूर्त

प्रातः 06:13 से दोपहर 12:36 तक माता महालक्ष्मी एवं भगवान परशुराम की पूजा करने का शुभ मुहूर्त है. इसी समय में सुविधानुसार सोने और अन्य वस्तुओं की खरीदारी की जा सकती है. इसके अलावा शुभ चौघड़िया में भी क्रय किया जा सकता है. प्रातः 07:49 से लेकर दोपहर 12:36 तक चर, लाभ तथा अमृत की चौघड़िया में खरीदारी करना शुभ रहेगा.

मीन से निकलकर बुध का मेष में प्रवेश

ज्योतिष शास्त्र में बुध को तकनीक, संचार, वाणी आदि का कारक ग्रह माना गया है. नवग्रहों में बुध को युवराज का दर्जा प्राप्त है. बुध ग्रह 25 अप्रैल की प्रात: 2 बजकर 31 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में आ गए हैं. मेष राशि में सूर्य की पहले से ही मौजूदगी और बुध के आने से सूर्य-बुध आदित्य योग का भी निर्माण हो रहा है. बुध के राशि परिवर्तन के समय सूर्य मेष राशि में 11 अंश का भोग कर चुके हैं और बुध शून्य अंश से शुरुआत करेंगे. इस प्रकार सूर्य और बुध के मध्य की दूरी 11अंश से भी अधिक रहेगी जो विशुद्ध बुधादित्य योग का निर्माण कर रहा है. काल पुरुष की कुंडली में मेष राशि को प्रथम भाव यानि कि लग्न भाव की राशि का दर्जा दिया गया है. साथ ही मेष राशि को अग्नि तत्व की राशि भी कहा जाता है, इसलिए बुध का मेष राशि में ये गोचर बेहद ही शीघ्रता से अपने परिणाम देगा.