अमरावती: इन दिनों देश में होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर हर राज्य में चुनावी माहौल बना हुआ है। हर कोई अपनी पार्टी को जिताने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इन सबके बीच चुनावी दौर में महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट (Amravati Lok Sabha Seat) चर्चा में बनी हुई है। जानकारी के लिए बता दें कि अमरावती लोकसभा सीट यह एससी उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के इस गढ़ में नवनीत ने अपने नाम का परचम लहराया था।
बता दें कि जहां देश के ज्यादातर हिस्सों में मोदी लहर दिखाया दी वहीं महाराष्ट्र के अमरावती में भाजपा कभी नहीं जीत पाई। आइए जानते है अमरावती लोकसभा सीट का अब तक का समीकरण कैसा रहा…
शिवसेना के गढ़ में नवनीत ने मारी बाजी
इस लोकसभा सीट से नवनीत राणा निर्दलीय सांसद हैं। गौरतलब हो कि नवनीत राणा ने अमरावती लोकसभा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार को हराया था। जानकारी हों कि साल 2019 से पहले अमरावती लोकसभा सीट शिवसेना का गढ़ थी और चार बार पार्टी इस पर लगातार जीत चुकी थी। फिर यहां की राजनीति में जो हुआ वह आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
33 हजार वोटों से शिवसेना को हराया
बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हमेशा चर्चा में रहने वाली नवनीत राणा ने निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ा था और उन्हें उस वक्त कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन प्राप्त था। इन सबके बीच हैरानी वाली बात यह थी कि किसी भी पार्टी की उम्मीदवार न होते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए भी नवनीत राणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर करीब 33,000 वोटों से शिवसेना उम्मीदवार को हराया था। इस तरह इतने वोटों से हराकर अमरावती में नवनीत राणा ने अपनी जगह मजबूत की।
ऐसा है वोटों का समीकरण
जानकारी के लिए आपको बता दें कि अमरावती लोकसभा सीट पर दलित वोटरों का दबदबा है। जी हां इस सीट पर करीब साढ़े तीन लाख के करीब दलित वोट है। इसके अलावा अमरावती लोकसभा सीट पर ST वोटरों की संख्या भी करीब ढाई लाख है। अमरावती लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या भी साढ़े तीन लाख है। वहीं बात करें अगर मराठी वोटरों की तो अमरावती में इनकी संख्या करीब 5 लाख हैं। इन सबको देखते हुए महाराष्ट्र में अमरावती लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
अब बदलें राजनीति के तेवर
जैसा कि हमने आपको बताया नवनीत राणा जब पिछला लोकसभा चुनाव लड़ रही थीं उस वक्त उन्हें एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन हासिल था। लेकिन अमरावती में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गया है। अब वह बीजेपी को खुलकर सपोर्ट करती हैं। लोकसभा में अपने भाषणों में वह लगातार मोदी सरकार की योजनाओं की तारीफ करती हुई नजर आ रही थीं।
इस बार नवनीत करेगी कमाल?
वर्तमान में चर्चा यह भी है की नवनीत राणा भाजपा की ओर से अमरावती का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के अमरावती लोकसभा चुनाव का नतीजा क्या आएगा। क्योकि जहां अब तक भाजपा ने अपना खाता नहीं खोला है वहां नवनीत के सहारे भाजपा अपनी जगह बनाने चली है । क्या अपनी स्वतंत्र पहचान छोड़कर भाजपा के साथ मिलकर नवनीत साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह ही करिश्मा कर पाएगी या नहीं। वही सवाल यह भी है कि क्या नवनीत के सहारे भाजपा अमरावती में अपनी जगह बना पायेगी या नहीं।