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    शेंदुरजना घाट. वरुड तहसील के शेंदूरजना घाट में अज्ञात रोग ने संतरे की फसल को अपनी चपेट में ले लिया और संतरा तडकने के साथ पेड़ों से गिरने लगा. साथ ही संतरा पेड़ की पत्तियां भी झड़ने लगी. इस कारण संतरा पेड़ सुखते दिखाई दे रहे थे. बारिश होने के बाद पेड़ हरेभरे हो जाएंगे, ऐसी आशा किसानों को रहते पेड़ एक जैसे सुखने लगे. यह अज्ञात रोग का प्रादुर्भाव ही दिखाई दे रहा है. साथ ही संतरा पेड़ों की टहनियां भी झुकने लगी हैं. पानी आने के बाद भी टहनियां सभी तरफ काफी सूखती दिखाई दे रही हैं. एक तरफ आंबिया बहार में किसानों का नुकसान हुआ. अब पेड़ों पर अज्ञात रोग के प्रादुर्भाव के कारण किसान काफी चिंतित हो गए है. 

    संकटों का दौर बदस्तूर 

    पिछले वर्ष मूसलाधार बारिश के कारण जुलाई से सितंबर माह की कालावधि में संतरा बगीचों में संतरे काफी गिर गए थे. इसमें करोड़ों रुपए नुकसान संतरा उत्पादकों सहित व्यापारियों का हुआ था. इस संकट का सामना कर शेष रहे संतरा माल पर लाखों रुपए खर्च कर विविध छिड़काव व उपाययोजना कर फलों की किसानों ने सुरक्षा कर उसे टिकाएं रखा. लेकिन संतरे को उचित दाम ने मिलने से मोर्शी व वरुड तहसील के संतरा उत्पादक किसान परेशान रहते अब फिर से अज्ञात रोग के नए संकट में आ गए हैं.

    वरुड तहसील में संतरा उत्पादन पर तहसील की आर्थिक व्यवस्था निर्भर रहती है. संतरा व संतरे की कलम पर किसानों का आर्थिक व्यवहार चलता है. निसर्ग संकट के कारण इस बार भी संतरा उत्पादक किसान परेशान दिखाई दे रहे हैं. सातनूर, पुसला, वाई, धनोडी, मालखेड़, झटामझिरी, वरूड़, जरूड़, लोणी, चांदस वाठोड़ा, सुरली कुरली, तिवसाघाट, बेनोड़ा, हिवरखेड़, मालखेड़ आदि परिसर में किसान आंबिया बहार भारी मात्रा में लेते हैं. लेकिन इस वर्ष भी नुकसान काफी होने से संतरा उत्पादक किसान दुविधा में हैं.

    कृषि विभाग के कामकाज पर सवाल

    संतरे पर लगातार आते रोगों के चलते कृषि विभाग के कामकाज पर सवालियां निशान लगे है. कायम स्वरूप में इस तहसील में कृषि अधिकारी नहीं है. प्रभारी अधिकारी पर ही कामकाज शुरू है. किसानों की फसलों पर आने वाले रोग का निदान कर उपाययोजना, मार्गदर्शन करने का काम कृषि विभाग का रहते उनकी अभी भी अनदेशी चल रही है. इस कारण संतरे पर कोलसी, शंकूरोग, डिक्कया रोग जैसे अज्ञात रोग का प्रार्दुभाव है. इस संकट से बाहर निकलने किसानों को उचित मार्गदर्शन और शासन द्वारा छिड़काव के लिए नि:शुल्क दवाई की आपूर्ति करने की मांग परिसर के संतरा उत्पाद किसान कर रहे हैं.

    अनुदान व मार्गदर्शन की आवश्यकता 

    इस वर्ष संतरे के पेड़ सूखने लगे है. आंबिया बहार अच्छा रहते अप्रैल से मई माह के तापमान के कारण संतरा गल गया. अब अज्ञात रोग का प्रकोप संतरा पेड़ों पर है. इसलिए शत प्रतिशत अनुदान पर शासन द्वारा दवाई उपलब्ध करानी चाहिए और कृषि विभाग द्वारा संतरा उत्पादकों को उचित मार्गदर्शन करना चाहिए.- प्रफुल्ल कुबडे, संतरा उत्पादक, शेंदुरजनाघाट

    रोग नहीं विकृति

    संतरा पेड़ो पर संतरे टूटकर गिरना यह कोई रोग नहीं है, एक विकृति है. ग्रीष्मकाल में पानी का अभाव और मानसून में बारिश होने पर संतरे का आकार अचानक बढ़ता है, उस समय संतरे के छिलके कड़क रहते है, इस कारण संतरा फल में कुछ मात्रा में दरार आती है. इसके लिए बोरॉन, कैल्शियम नाइट्रेट, जिंक उचित प्रमाण में लेकर संतरा पेड़ों पर छिडकाव करना चाहिए.- मनोज भाकरे, कृषि सहायक

    उपाययोजना जरूरी

    वर्तमान में अज्ञात रोग के कारण संतरा पेड़ सूखने के साथ फल गिर रहे हैं. यह वातावरण का बदलाव है, या अज्ञात रोग है, इस पर संतरा संशोधकों द्वारा संशोधन कर हर वर्ष आनेवाले इस संकट पर मात करने के लिए उचित उपाय करना चाहिए और किसानों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए शासन की तरफ से आर्थिक सहायता करनी चाहिए.- लक्ष्मीकांत देवघरे, किसान