Navneet Rana, Balwant Wankhede and Kishore Borkar
नवनीत राणा, बलवंत वानखडे और किशोर बोरकर

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अमरावती. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर शासकीय तैयारियां शुरु हो गई है. मतदाता सूची बनकर तैयार है. चुनावी यंत्रणा सुसज्ज हो रही है. लोकसभा चुनाव को लेकर निर्दलीय सांसद नवनीत राणा का चुनाव लडना तय है. लेकिन उसके सामने कौन मैदान में उतरेगा, इसके लिए पूरी तरह संभ्रम वाली स्थिति है. गत 30 वर्षो पश्चात कांग्रेस अपने चुनाव चिन्ह पर पूरे जोश के साथ चुनाव लडने को इच्छुक है. इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के पाले में जाने की काफी प्रबल संभावना है. अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में चुनाव को लेकर अभी भले खुलकर तैयारियां नजर नहीं आ रही, लेकिन आतंरिक हलचल जारी है. फिलहाल स्थिति के अनुसार नवनीत राणा को चुनौति देने के लिए सभी पक्ष एकजूट हो रहे है.

गत लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा राकां के समर्थन में निर्दलीय चुनाव लडकर जीत हासिल की थी. वहीं पर भाजपा सेना युति के उम्मीदवार पूर्व मंत्री शिवसेना के आनंदराव अडसूल को पराजय का सामना करना पड़ा था. उस समय राणा की जीत में अल्पसंख्यक समाज का भारी मतदान जमा बाजू था. लेकिन चुनाव पश्चात राणा ने खुलकर हिंदुत्व का झेंडा थामकर भाजप के साथ हाथ मिला लिया. वह पूरी तरह केंद्र व राज्य में भाजप सरकार के साथ है. वह राज्य में शिवसेना उद्धव ठाकरे पर सीधा हमला करने से नहीं चूकती. राणा को अपेक्षा है कि भाजपा उसे समर्थन दें, लेकिन भाजपा के सूत्र के अनुसार किसी भी स्थिति में निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देने के पक्ष में नहीं है. यदि राणा भाजप में प्रवेश लेती है तो भाजपा प्रत्याशी संभवित हो सकती है. इसके बावजूद स्थानीय भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता राणा की कार्यशैली को लेकर काफी नाराज है.

राणा दंपति का जिले में किसी भी जनप्रतिनिधि, पक्ष, उनके नेता व पदाधिकारी से काफी मनभेद है. तद्हेतू नवनीत राणा के खिलाफ एकजूट होकर चुनाव लडने को तैयार है. अमरावती सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. किसी भी पक्ष के पास फिलहाल योग्य उम्मीदवार नहीं है. नवनीत राणा का भी जाति प्रमाणपत्र को लेकर न्यायालय में विवाद जारी है. इसका क्या निर्णय आता है, इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है. कांग्रेस की ओर से प्रदेश कार्यालय के तीन उम्मीदवारों के नाम भेजे गए है, उसमें दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे के अलावा प्रदेश पदाधिकारी किशोर बोरकर और प्रदेश युवक कांग्रेस सचिव सागर कलाने का समावेश है. 

विगत हाल ही में राज्य की गठबंधन सरकार के पक्षों की लोकसभा चुनाव को लेकर समीक्षा हेतु सभा पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे के नेतृत्व में संपन्न हुई. इसमें राकां से प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके, भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, युवा स्वाभिमान की ओर से विधायक रवि राणा, शिंदे गुट से पूर्व विधायक अभिजीत अडसूल व अन्य सहयोगी दलों के नेतागण उपस्थित थे. सभा में दबी जुबान में नवनीत राणा के खिलाफ सूर था. शिंदे गुट से अडसूल ने उनके पिता आनंदराव अडसूल का स्वयं चुनाव लडने का दावा ठोका.  कुल मिलाकर इस सभा में लोकसभा चुनाव को लेकर काफी संभ्रम की स्थिति नजर आई. अंत में नवनीत राणा का हर हाल में चुनाव लडना तय है. यदि भाजपा उसे समर्थन देती है, या वह कमल का फुल थाम लेती है तो भी यह इतना आसान नहीं. नवनीत राणा ने जिले में अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व निर्माण किया है, इसलिए उसके सामने विपक्ष को एकजूट होकर मजबूत उम्मीदवार देना होगा.