aap ki rai amravati Public anger over cleanliness

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अमरावती: शहर में साफ-सफाई को लेकर नागरिकों में काफी रोष है। हर कॉलोनी में कचरे के ढेर लगे हुए हैं। नालियां पूरी तरह कचरो से भरी पड़ी होने से जाम हो चुकी हैं।साफ सफाई के अभाव के चलते वर्षा ऋतु में बुखार, मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारी से अनेक लोग पीड़ित हैं। निजी तथा शासकीय अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं। शहर में यह बीमारियां और फैलने से इनकार नहीं किया जा सकता। साफ-सफाई को लेकर मनपा का हर माह लाखों रुपए का प्रावधान होने के बावजूद जमीनी स्तर पर कहीं पर भी इसका असर नहीं दिखाई देता।लेकिन मनपा प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ रहा।यहां कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। एक तरह से पूरा प्रशासन लापरवाही बरत रहा है।

हर संभव प्रयास जारी

शहर में साफ-सफाई को लेकर मनपा प्रशासन गंभीर है। लेकिन वर्षा के चलते, इस कार्य में अड़चन आ रही है। सभी अतिरिक्त आयुक्तों की मीटिंग ली गई। इसमें इस बारे में तत्काल हर संभव प्रयास करने को कहा गया है। जहां जहां कचरे के ढेर लगे हैं, उसे भी जल्द उठाने को कहा गया। इस पर प्रशासन काम पर जुट गया है। प्रशासन ने शहर में साफ सफाई तथा कचरे के ढेर को हटाने को प्राथमिकता के साथ कार्य शुरू किया है। जो आगामी कुछ दिनों में दिखाई देगा। -देविदास पवार (आयुक्त, महानगरपालिका)

मनपा प्रशासन पर जनप्रतिनिधियों का दबाव नहीं 

मनपा प्रशासन में आयुक्त को सभी अधिकार होने के साथ कर्मचारी व अधिकारियों का बहुत बड़ा फौज फाटा होने के बावजूद कहीं पर भी सक्रियता नजर नहीं आ रही है। दुखद बात यह है कि सभी प्रभाग के अधिकारियों द्वारा अपने अपने प्रभाग का अवलोकन भी नहीं करते हैं। यह दुदैवी है। करीब गत डेढ़ वर्षो से मनपा प्रशासन का कारोबार निष्क्रिय होकर पड़ा है। नागरिकों की रोज आने वाली अनेक शिकायतों के बावजूद स्वच्छता व आरोग्य विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ रहा। मनपा में अर्थपूर्ण तबादले, आपसी टेंडर प्रक्रिया, नागरिकों द्वारा किसी प्रकार की मांग नहीं होने के बावजूद अनावश्यक बड़े-बड़े विकास कामों के पीछे मनपा प्रशासन उलझा हुआ है। जिले के पालक मंत्री तथा शहर के जनप्रतिनिधियों का प्रशासन पर कोई दबाव नहीं रह गया है। इसके चलते प्रशासन हर स्तर पर  विफल हो रहा है। इसमें जनता पूरी तरह पीसें जा रही है।मनपा को जब तक कर्तव्य दक्ष IAS अधिकारी आयुक्त के तौर पर नियुक्ति शासन नहीं करती, तब तक यहां के कामकाज में कोई सुधार नहीं हो सकता। -प्रदीप बाजड (पूर्व पार्षद)