Pune court may pronounce verdict today in Narendra Dabholkar murder case
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर (फ़ाइल फोटो)

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पुणे: अंधविश्वास (Superstition) के खिलाफ डॉ. नरेंद्र दाभोलकर (Dr. Narendra Dabholkar) का अभियान ही उनके खिलाफ दुश्मनी की वजह बना था। 2013 के दाभोलकर हत्या मामले में अंतिम दलीलें शुरू करते समय अभियोजन पक्ष ने पुणे की अदालत के समक्ष यह दावा किया। विशेष लोक अभियोजक प्रकाश सूर्यवंशी ने मंगलवार को अंतिम दलीलें शुरू करते हुए अपने दावे के समर्थन में दाभोलकर के बेटे हामिद दाभोलकर सहित कुछ प्रमुख गवाहों के बयानों का हवाला दिया।

तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह महाराष्ट्र के पुणे शहर में ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर पर निकले थे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी.पी. जाधव के समक्ष बहस करते हुए अभियोजन पक्ष ने हामिद दाभोलकर, संजय सदविलकर और प्रशांत पोतदार की गवाही का हवाला दिया।

नरेंद्र दाभोलकर के बेटे और उनके सहयोगी रहे प्रशांत पोतदार ने अपने बयानों में कहा था कि कट्टरपंथी हिंदूवादी संगठन ‘सनातन संस्था’ नरेंद्र दाभोलकर की ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ द्वारा किए गए कार्यों का विरोध करता था। हत्याकांड के कुछ आरोपी इस हिंदूवादी संगठन जुड़े हुए थे। 

अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि यह विरोध ही दुश्मनी का कारण था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि सदविलकर ने अपनी गवाही में मामले में आरोपी डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े की नरेंद्र दाभोलकर के खिलाफ दुश्मनी के मकसद के बारे में बताया है। अभियोजक सूर्यवंशी ने कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख 17 फरवरी को अपनी दलीलें पूरी करेंगे। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2014 में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जांच अपने हाथ में ली और जून 2016 में सनातन संस्था से जुड़े एक ‘ईएनटी सर्जन’ तावड़े को गिरफ्तार किया। 

सीबीआई ने तावड़े को मुख्य आरोपी करार दिया। एजेंसी ने कथित शूटर सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर तथा सह-साजिशकर्ता संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को भी गिरफ्तार किया। तावड़े, अंदुरे और कालस्कर जेल में हैं जबकि पुनालेकर और भावे जमानत पर बाहर हैं। 

(एजेंसी)