औरंगाबाद : पुलिस (Police) थानों (Police Stations) में कार्यरत (Working) कांस्टेबल (Constable) से लेकर सहायक पुलिस उपनिरीक्षक (Assistant Sub-Inspector of Police) को जांच (Investigation) के काम का बोझ से राहत देते हुए हर साल सिर्फ 30 मामलों की जांच देने का निर्णय (Decision) औरंगाबाद (Aurangabad) रेंज के स्पेशल महानिरीक्षक मल्लिकार्जुन प्रसन्ना ने लिया है।
प्रसन्ना के इस निर्णय के बाद से रेंज के हर थाना क्षेत्र में दर्ज अपराधों को उजागर करने का ग्राफ बढ़ा है। स्पेशल महानिरीक्षक के इस निर्णय से पुलिस कर्मचारी भी उन्हें मिले जांच के मामलों में पूरी तरह झकझोंर कर जांच के कार्य में जूटे है। विशेषकर, जांच कार्य में उत्साह दिखाने वाले कर्मचारियों को सम्मानित करने का निर्णय भी स्पेशल महानिरीक्षक द्वारा जारी है।
मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए औरंगाबाद रेंज के स्पेशल महानिरीक्षक मल्लिकार्जुन प्रसन्ना ने बताया कि मौजूदा पुलिस बल को अनुकुलित करने और पुलिस बल के मुख्य कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केन्द्रीत करने के लिए पुलिस थाना स्तर पर पुलिस कांस्टेबलों के सामान्य कर्तव्यों को समाप्त कर दिया है। प्रसन्ना ने अपने मातहत काम करनेवाले अधिकारियों को आदेश दिया कि पुलिस कांस्टेबल से लेकर सहायक पुलिस उपनिरीक्षक (एएसआई ) को साल में 30 से अधिक जांच के मामले नहीं दिए जाने चाहिए। इसके अलावा पुलिसकर्मी मामले का पता लगाने से लेकर आरोप पत्र दाखिल करना, गुमशुदा व्यक्ति को ढूंढ निकालना, जब्त किए गए विविध वस्तुओं को फरियादी को लौटाना इन सभी कार्यो में उन्हें इनाम दिया जा रहा है।
जांच करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा
उनका कहना था कि साल में सिर्फ 30 मामले पुलिस कर्मचारियों को जांच के लिए दिए गए तो उन्हें गंभीर अपराधों का गुणवत्ता पूर्ण जांच करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा। प्रसन्ना ने कहा कि अगर यह पाया जाता है कि उसने 30 मामलों की जांच पूरी कर ली और तय माह की अवधि में चार्जशीट दाखिल कर दी तो उस पर नए मामलों का बोझ नहीं पड़ेगा। यह निर्णय औरंगाबाद रेंज के औरंगाबाद ग्रामीण, बीड, उस्मानाबाद और जालना जिले में लागू किए गए है। एक सवाल के जवाब में स्पेशल महानिरीक्षक मल्लिकार्जुन प्रसन्ना ने बताया कि पुलिस थाना स्तर पर पुलिस कांस्टेबलों के सामान्य कर्तव्यों को समाप्त कर दिया गया है।
पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है
सामान्य कर्तव्यों से हटाए गए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्हें बीट कांस्टेबल के साथ-साथ जांच अधिकारियों के रुप में तैनात किया गया है। जो मामलों के निपटान और दृश्य पुलिसिंग सहित कई मोर्चा पर पुलिस की मदद करते है। उन्होंने बताया कि ड्यूटी अधिकारी, कैरेक्टर सर्टिफिकेट, सीसीटीएनएस, क्राईम, इनवर्ड आउटवर्ड, वायरलेस जैसे जरुरी कामों को छोड़कर हमने सामान्य ड्यूटी की, अवधारणा को खत्म कर दिया है। औरंगाबाद रेंज के स्पेशल महानिरीक्षक ने बताया कि हर मामले पर नजर रखने के लिए एक डैश बोर्ड हर पुलिस थाना स्तर पर विकसित किया है। साथ ही जिस कर्मचारी के पास जांच जारी है, उसे 45 दिन बाद, 60 दिन बाद उसे जांच की प्रगति को लेकर रिमाइंडर किया जाता है।
पुलिस कर्मचारियों में भी खुशी की लहर दौड़ी हुई है
प्रेस वार्ता में उपस्थित औरंगाबाद ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक निमित्त गोयल ने बताया कि बीते 6 सालों में औरंगाबाद ग्रामीण क्षेत्र में लंबित 11 हजार 700 मामलों में से 9 हजार 411 मामलों का निपटारा किया गया है। पहले ग्रामीण क्षेत्र में सिपाही से लेकर आईओ 219 थे, उनकी आज संख्या बढ़कर 310 हुई है। जिसके चलते उनकी ईकाई 7 हजार 858 मामलों का निपटारा करने में सक्षम साबित हुई। बेहतर कार्य करनेवाले 145 अधिकारियों को 597 पुरस्कार और 936 कांस्टेबलों को 2639 एवार्ड देकर नवाजा गया। आला अधिकारियों द्वारा निचले कर्मचारियों के कामों की जा रही सराहना से पुलिस कर्मचारियों में भी खुशी की लहर दौडी हुई है।