भंडारा शहर है या कचरे का भंडा; 2.49 करोड़ घंटा गाड़ियों पर खर्च, हर गली-मुहल्ले में कुड़े का अंबार

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    भंडारा. भंडारा शहर है या कचरे का भंडार.शहर में हर तरफ कचरा पड़ा देखकर आम लोगों के जेहन में यही सवाल उठना लाजिमी हो जाता है.नगर परिषद की अनदेखी और आम नागरिकों की लापरवाही इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है कहां जाए तो गलत नहीं होगा.

    शहर की कचरे की समस्या को दूर  करने के लिए नगर परिषद की ओर से हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जाते है.अकेले घंटा गाड़ियों से कचरे की ढुलाई के लिए हर वर्ष 4.49 करोड़ का खर्च नगर परिषद करती है. 16 घंटा गाड़ियां शहर के हर गली-कुचे में जाती है और कचरा उठाती है.इसके बाद भी शहर के हर गली और मुहल्ले में कचरे का अंबार लगा हुआ है. 

    इस कचरे को हटाने के लिए नगर परिषद को अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है.यह खर्च शहर के नागरिकों के टैक्स से ही किया जाता है.इसलिए नागरिकों की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि वह अपने टैक्स की राशि का सही  ढंग से उपयोग हो रहा है या नहीं इस पर ध्यान रखें.अगर शहर के नागरिक जागरूक हो जाए तो सबसे पहले वह जगह-जगह कचरा डालना बंद कर देंगे.लेकिन इतनी जागरूकता शहर के नागरिकों में नहीं दिखती, यही दुखद है. 

    अमरावती की संस्था को है टेंडर

    घंटा गाड़ियों से शहर का कचरा ढोने का टेंडर दो वर्षों के लिए निकाला गया था.आगामी कुछ ही माह में इस टेंडर की अवधि समाप्त होने जा रही है. इसके बाद नया टेंडर निकाला जाएगा.फिलहाल क्षितिज बेरोजगार सेवा सहकारी संस्था अमरावती को यह टेंडर है.

    कचरे का क्या करती है नप

    शहर से जमा कचरा नगर परिषद की ओर से जमनी(दाभा)के निकट बनाए 10 एकड़ के घन कचरा व्यवस्थापन प्लांट में ले जाया जाता है. शहर से हर दिन  30 टन कचरा जमा होता है.वहां कचरे पर प्रकिया की जाती है.कचरे से खाद बनाया जाता है.खरड़ा आदी सुखी वस्तुएं 10 रुपए प्रति टन के हिसाब नगर परिषद बेचती है.घन कचरा व्यवस्थापन की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश के सतना स्थित एन्वायरमेंट  सोल्यूशन को दी गई है. कचरे में आए ईटे,पत्थर, रेती(कंट्रक्सन) वेस्ट को शहर के नीचले भागों में डाला जाता है.