रबी में बोगस धान बीज की आपूर्ति, 10 एकड़ के ग्रीष्मकालीन धान फसल की क्षती

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    • पुयार की घटना 

    लाखांदूर. एक प्रायवेट सिडस कंपनी के तहत ग्रीष्मकालीन फसल के लिए आपूर्ती किए 120 दिन अवधी का धान बीज 150 दिन अवधी का निकला. जिसके कारण कुल 10 एकड़ क्षेत्र की ग्रीष्मकालीन धान फसल की पुर्णत: क्षती होने से रबी में बोगस धान बीज के आपूर्ती का आरोप लगाया गया है. उक्त आरोप स्थानीय लाखांदूर तहसील के पुयार निवासी कुल 5 किसानों ने लगाया है.

    भानु -216 धान बीज की बुआई 

    प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष रबी में तहसील के पुयार निवासी कुल 5 किसानों ने कुर्नूल के धनलक्ष्मी सिडस प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के तहत लाट क्र. 1880064 के भानु 216 नामक धान बीज की खरिदी कर बुआई की थी. 

    हालांकि बीज खरिदी के दौरान कंपनी द्वारा किसानों उक्त बीज की बुआई पश्चात अगले 120 दिनों में फसल निकलने का आश्वासन दिया गया था. किंतु उक्त धान बीज के फसल की बुआई के पश्चात कुल 150 दिनों बाद फसल का न्यूनतम उत्पादन से बहुत ही कम उत्पादन निकलने की जानकारी दी गई.

    फसल उत्पादन के तहत लाखों रु. का नुकसान 

    धनलक्ष्मी सिडस कंपनी के तहत आपूर्ती किए भानु 216 नामक धान की बुआई करने पर कंपनी के तहत 120 दिनों में फसल उत्पादन होने का दावा किया गया था. किंतु तहसील के पुयार के किसानों ने बुआई किए फसल का उत्पादन कुल 150 दिनों बाद लिया जाने की जानकारी दी गई. 

    हालांकि लिए गए फसल उत्पादन में अन्य फसलों की तुलना में न्यूनतम से भी कम मात्रा में उत्पादन होने की जानकारी दी गई है. जिससे स्थानिय पुयार के किसानों को रबी के तहत ग्रीष्मकालीन धान फसल उत्पादन में लाखों रुपयों का नुकसान होने का आरोप लगाया गया है.

    सिडस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग 

    इस वर्ष के रबी में ग्रीष्मकालीन धान फसल बुआई के लिए धनलक्ष्मी सिडस प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के तहत आपूर्ती किए गए धान बीज बोगस होने का आरोप किया गया है. हालांकि उक्त आरोप के अनुसार पुयार के कुल 5 किसानों के लाखों रुपयों के ग्रीष्मकालीन धान फसल के उत्पादन का नुकसान होने का आरोप भी किया गया है. जिसके कारण किसानों ने स्थानीय तहसील कृषी अधिकारी से शिकायत कर बोगस धान बिजों की आपूर्ती के मामलें में धनलक्ष्मी सिडस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई कर मुआवजे की मांग की गई है. हालांकि उक्त मांग स्थानीय पुयार निवासी गजानन नाकतोडे, भास्कर कापगते, माणिक रामटेके, सोमेश्वर भागडकर व रुपाचंद रामटेके आदी किसानों ने की है.