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    • व्यर्थ पानी नहीं बहाए

    भंडारा. पानी यह जीवन है. पानी नहीं तो कुछ भी नहीं, यह जानते हुए भी बहुत से लोग पानी का दुरुपयोग करते हैं. और इसी कारण पानी का भंडारण कम होता जा रहा है. वर्षाकाल में अन्य ऋतुओं की तुलना में ज्यादा बारिश होती है. वर्षाकाल में जो इकठ्ठा होता है, उससे सिंचाई की जाती है. इसके आलावा विभिन्न जलाशयों, नहरों, झीलों का पानी भी सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जाता है. 

    पानी त्रासदी का करना पडेगा सामना 

    भंडारा जिले में पानी का स्तर बहुत कम नहीं हैं, लेकिन जिले के पानी संसाधनों में होती जा रही कमी से यह चिंता बढ़ती जा रही है कि अगर समय रहते पानी की किल्लत पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में पूरे जिले को पानी त्रासदी का सामना करना पड़ेगा. 

    भंडारा जिला धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है

    नदी का शुद्ध पानी नागरिकों को पीने के लिए मिलता था, लेकिन अब वह स्थिति नहीं रही. भंडारा जिले के अधिकांश किसान पूरी तरह से बारिश के पानी पर निर्भर हैं. लेकिन अगर बारिश नहीं हुई तो किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है. नदियों का पानी सिंचाई के योग्य इसलिए नहीं रहा क्योंकि प्रदूषित हो चुका है. 

    सात तहसीलों वाला भंडारा जिला धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है. धान के लिए जरूरी पानी तो किसानों को मिल जाता है, लेकिन उसे मानसूनी बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थानों पर व्यर्थ ही पानी बहते हुए दिखायी देता है. कुएं सूख गए हैं और नहरों, जलाशयों का पानी नहीं के बराबर रह गया है. 

    पानी का स्तर घटता चला जा रहा है

    पूर्व में ग्रीष्मकाल में फसल लेने की पद्धत नहीं थी, इस वजह से कुओं का पानी गांव के लोगों के लिए पर्याप्त हो जाता था, लेकिन अब ग्रीष्मकाल की भी फसल खेत में ही लेने के कारण पानी का स्तर घटता चला जा रहा है. अब पहले की तरह मानसूनी बारिश नहीं होने, बेमौसम बारिश होने, अकाल पड़ने जैसी स्थिति में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होना बहुत बड़ी शोकातिका है. और इस शोकातिंका का एहसास जिले के किसानों को है. 

    वाहन धोने में व्यर्थ किया जा रहा है पानी 

    गर्मी के मौसम में वैसे भी पानी की कमी होती है, फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं कि वे पानी की किल्लत में भी अपने वाहनों को धोना नहीं भूलते. गर्मी के दिनों में जब किसान समेत अन्य क्षेत्रों में पानी की किल्लत महसूस की जा रही हो, उस वक्त पानी का उपयोग दो पहिया, चार पहिया वाहनों को धोने में किया जाए तो उन लोगों को बहुत गुस्सा आता है. जिनको पानी बड़ी मुश्किल से मिलता है. 

    करनी पडती है महिलाओं को पानी के लिए लंबी दूरी तय 

    चार पहिया वाहन को धोने के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में लगता है. बाहर जाने से पहले बहुत से लोग अपने वाहन धोने का पसंद करते हैं. जिस पानी के लिए गांव में महिलाओं को सिर पर गगरी रखकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. वैनगंगा नदी के अशुद्ध पानी को शुद्ध करके जिस पानी को शहरवासियों के घर में भेजा जाता है, उस पानी का वाहनों को धोने के लिए खर्च करना उचित नहीं है. 

    खरीदकर लाया जाता है पिने का पानी 

    शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पानी कार धोने में खर्च किया जाता है. कई लोग ऐसे भी है, जो सप्ताह में दो या तीन बार अपनी कार धोते हैं. घर-घर पानी का उपयोग शौचालय, पेशाब के बाद, नहाने, कपड़े धोने, बाग- बगीचों, टेरेस को साफ, फर्श धोने के अलावा पीने में किया जाता है. पिने का पानी खरीदकर ही लाया जाता है. 

    संकल्प लें कि पानी का दुरुपयोग नहीं होने देंगे-सचिन बागडे 

    सामाजिक कार्यकर्ता सचिन बागडे ने बताया कि भंडारा जिले में पानी की स्थिति अच्छी है, लेकिन अगर वैनगंगा नदी समेत अन्य सभी नदियों का पानी शुद्ध करने के साथ-साथ अन्य पानी संसाधनों को भी पुनजिर्वित किया गया तो आने वाले कई दशकों पर जिले के लोगों को पानी की किल्लत का सामना नहीं करना होगा. शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रहने वाले लोग एक साथ मिलकर संकल्प लें कि पानी का दुरुपयोग नहीं होने देंगे.

    पानी अधिकांश घर एवं कुछ सार्वजनिक नलों में यूं ही बहता रहता है-जागृत नागरिक 

    नाम नहीं छापने के शर्त पर एक जागृत नागरिक ने बताया कि अगर देखा जाए तो बहुत सा पानी अधिकांश घर एवं कुछ सार्वजनिक नलों में यूं ही बहता रहता है. पानी के उपयोग को लेकर बरती जा रही मनमानी की वजह से पानी की बर्बादी पर रोक नहीं लग पा रही है, ऐसे में इस बात पर नज़र रखनी ही होगी कि पानी का दुरुपयोग कहां-कैसे और कब किया जा रहा है.