भंडारा. मौसम में बदलाव एवं अधिक बारिश के कारण इस वर्ष खरीफ सीजन में धान की फसल पर लष्करी इल्लियों समेत विभिन्न बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. जिले में सैकड़ों हेक्टेयर की धान की फसल पर बीमारी फैलने से किसान 2 से 3 बार कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं. रोग नियंत्रण में नहीं होने से किसान परेशान हो गए हैं. जिले में मुख्य रूप से धान की खेती की जाती है.
प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी धान की फसल बोई गई. शुरुआती दौर में अच्छी बारिश नहीं हुई. इस कारण धान की बुवाई में देरी से हुई. इस दौरान किसानों ने काफी मशक्कत के बाद धान की बुवाई की.
इसके बाद मूसलाधार बारिश हुई. धान की फसल की रोपाई का काम पूरा हो गया है. लेकिन पोला एवं गणेश उत्सव के बाद भी बारिश की तीव्रता बरकरार है. ऐसे खराब मौसम एवं भारी बारिश के कारण धान की फसल पर लष्करी इल्ली एवं बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है. इसके अलावा खोड़किट, करपा, कडाकरपा एवं अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ रहा है.
कृषि विभाग ने जिले के किसानों को समय रहते इन बीमारियों का प्रबंधन कर धान की फसल से इन बीमारियों को खत्म करने की सलाह दी है. इस बीच कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सीधे खेतों में जाकर रोगग्रस्त फसल का निरीक्षण करने की तैयारी में हैं. निरीक्षण के दौरान अत्यधिक वर्षा, अधिक सूर्य की किरणों की कमी, खराब मौसम, इस तरह के कुपोषित मौसम के कारण धान की फसल पर रोग का प्रकोप कृषि विशेषज्ञों सहित किसानों द्वारा बताया जा रहा है.
किसान अब बीमारी को मिटाने के लिए पारंपरिक उपाय नहीं करते हैं. क्योंकि ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के किसानों को कृषि विभाग के कर्मचारियों से सीधा मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है. प्रात्यक्षिक के माध्यम से प्रत्येक गांव को धान की फसल पर रोग के उन्मूलन के लिए प्राकृतिक उपचारों की जानकारी देने की आवश्यकता है.