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    भंडारा. किसानों ने हल्की किस्म के धान की कटाई शुरू कर दी थी कि वापसी की बारिश हो गई.काटने योग्य और कांटा जा चुका धान भीग गया.इस प्राकृतिक आपदा से बचें किसान अब अपना धान बेचने का जुगाड लगा रहे हैं तो दूसरी ओर रबी की बुआई का मौसम शुरू हो जाने से किसान परेशान हैं.खरीफ का धान नहीं बिक पाने से यह समस्या गहरा गई है

    .इस स्थिति में भी कुछ किसान खेती में व्यस्त हैं. कुछ किसान रबी सीजन के बीज खरीदने के लिए कृषि केंद्रों पर जा रहे हैं लेकिन जिन किसानों के पास आर्थिक ताकत नहीं है, वे किसान धान को सस्ते दामों पर बेचकर रबी सीजन के लिए बीज खरीद रहे हैं.कुल मिलाकर दिवाली खत्म होने के बाद कुछ किसान रबी सीजन की बुआई करने के लिए दौड़ धूप कर रहे हैं तो कुछ किसान धान बेचने के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं.

    बताया जा रहा है कि इन दिनों किसानों की हालत दयनीय हो गई है. किसानों ने रबी सीजन के लिए धान को कौडियों के दामों पर बेचकर बीज खरीदने के प्रयास तेज कर दिए है.वैसे पिछले दो-तीन दिनों से आसमान में बादल छाए रहने के कारण फूल पर लगे अरहर की फसल पर बीमारी का असर पड़ा है.सब्जियों सहित अन्य फसलों पर बीमारी फैलने के कारण किसान कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं.आसमान में बादल छाए रहने से बारिश का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है. ऐसे में किसान प्रकृति के चक्र के आगे बेबस नजर आ रहा हैं.

    धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं

    पिछले दो-तीन साल से किसान बेहद परेशान हैं. कभी गीला सूखा, कभी सूखा ही सूखा नजर आ रहा है.फिलहाल जिले में धान कटाई का सीजन चल रहा है. कुछ किसान खेतों में धान की कटाई करते हैं. बारिश से भीगे हुए धान के ढेर सुखाने के लिए रखे हुए हैं. दोबारा बारिश हुई तो किसानों के हाथ से यह धान भी छिन जाएगा. किसान सहमे हुए हैं.इसलिए किसान धान की कटाई मशीनों और हार्वेस्टर से कर रहा है. लेकिन अभी भी धान का पिटारा घर पर ही रखा है क्योंकि जिले में धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हुए है. 

    कपास के नुकसान का भी डर

    आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कुछ किसान धान को किसी भी कीमत पर बेच रहे हैं.किसानों की बदहाली को देखते हुए व्यापारी भी किसानों से सस्ते दाम पर धान खरीद रहे हैं. मोहाडी तहसील में कुछ किसान कपास की खेती करते हैं. यदि बारिश होती है, तो संभावना है कि डोंडों से निकली कपास भीग जाएगी. ऐसे संकेत हैं कि अगर बारिश हुई तो कपास किसानों पर बड़ा आर्थिक नुकसान होगा.

    तुवल की फसल पर कीट प्रकोप

    इसके अलावा, बादल छाए रहने के कारण तुवल की फसल पर विभिन्न कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया है. कीट नियंत्रण के लिए किसान कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं.